नौ माह से बंद है ट्रांसमिशन लाइन का काम

पीजीसीआइएल को 260 करोड़ रुपये का नहीं हुआ भुगतानपीजीसीआइएल ने काम बंद कियाजुलाई 2014 में ही पूरा होना था ट्रांसमिशन लाइन और ग्रिड सब स्टेशन का कामवरीय संवाददातारांची : बिजली कंपनियों द्वारा पीजीसीआइएल को भुगतान नहीं किये जाने से राज्य में ट्रांसमिशन लाइन बिछाने का काम बंद है. ग्रिड सब स्टेशन का काम भी बंद […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 18, 2014 8:00 PM

पीजीसीआइएल को 260 करोड़ रुपये का नहीं हुआ भुगतानपीजीसीआइएल ने काम बंद कियाजुलाई 2014 में ही पूरा होना था ट्रांसमिशन लाइन और ग्रिड सब स्टेशन का कामवरीय संवाददातारांची : बिजली कंपनियों द्वारा पीजीसीआइएल को भुगतान नहीं किये जाने से राज्य में ट्रांसमिशन लाइन बिछाने का काम बंद है. ग्रिड सब स्टेशन का काम भी बंद है. पीजीसीआइएल को 260 करोड़ रुपये का भुगतान करना है. दिसंबर 2013 से ही भुगतान बंद है. पीजीसीआइएल द्वारा बिजली बोर्ड के लिए 1260 करोड़ की लागत से पूरे राज्य में ट्रांसमिशन लाइन और ग्रिड सब स्टेशन बनाने का काम किया जाना है. तत्कालीन बिजली बोर्ड का तर्क था कि राज्य सरकार से पैसा नहीं मिला है. इसके बाद पीजीसीआइएल द्वारा कहा गया कि भुगतान न होने की वजह से उनके ठेकेदारों ने काम करना बंद कर दिया है. कहां-कहां है काम बंदराज्य में 10 ग्रिड सब स्टेशन का काम बंद है. रामचंद्रपुर, चाईबासा, मनोहरपुर, मानगो, गोविंदपुर, पतरातू, लातेहार, लोहरदगा, दुमका और मधुपुर में काम बंद है. वहीं इन ग्रिडों को जोड़ने के लिए 19 ट्रांसमिशन लाइन भी बनायी जानी है. इसका काम भी पूरी तरह बंद है. पीजीसीआइएल के एक अधिकारी ने बताया कि काम तेजी से आरंभ हुआ था, पर भुगतान न होने के कारण पूरा नहीं हो सका. जुलाई 2014 तक काम पूरा होना था. राज्य सरकार ने भुगतान के मामले में गंभीरता नहीं दिखायी. चार ग्रिड सब स्टेशन के लिए नहीं है जमीनप्रस्तावित चार ग्रिड सब स्टेशन के लिए अबतक जमीन चिह्नित नहीं की गयी है. पतरातू, लातेहार, मानगो और लोहरदगा की ग्रिड के लिए जमीन नहीं है. पीजीसीआइएल द्वारा 400/200 केवी के दो, 220/132 केवी के 4 और 132/33 केवी के चार ग्रिड सब स्टेशन का निर्माण किया जाना है. क्या हो रहा है नुकसानपूरे राज्य में ग्रिड कनेक्टिविटी न होने की वजह से अभी भी संताल-परगना में बिहार से बिजली लेनी पड़ती है. वहीं पलामू प्रमंडल में यूपी और बिहार से बिजली लेनी पड़ती है. ग्रिड से जुड़ जाने पर पतरातू और तेनुघाट द्वारा उत्पादित बिजली की आपूर्ति की जा सके गी.

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