रांची : एनएच-33 की हालत देख कर दर्द होता है : हाइकोर्ट

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) की दयनीय स्थिति व फोर लेनिंग कार्य को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए माैखिक टिप्पणी की. खंडपीठ ने कहा कि रांची-जमशेदपुर एनएच […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 21, 2020 6:40 AM

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) की दयनीय स्थिति व फोर लेनिंग कार्य को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए माैखिक टिप्पणी की. खंडपीठ ने कहा कि रांची-जमशेदपुर एनएच पब्लिक प्रॉपर्टी है. रोड की स्थिति देख कर कोर्ट को दर्द होता है.

एनएच पर आये दिन दुर्घटनाएं होती हैं. लोगों की मौत हो रही है. इस पर कोर्ट संवेदना व्यक्त करता है. कई वर्षों के बाद भी एनएच का फोर लेनिंग कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है. यह रोड प्रोजेक्ट पब्लिक के लिए है, लेकिन पब्लिक को घोर असुविधा हो रही है.

खंडपीठ ने एनएचएआइ को फेज-तीन व फेज-चार के निर्माण कार्यों में तेजी लाने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने पूर्व संवेदक कंपनी रांची एक्सप्रेस-वे लिमिटेड के एमडी के श्रीनिवास राव के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही रोकने को लेकर दायर डिस्चार्ज पिटीशन पर सुनवाई करते हुए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया.

जुर्माने की राशि चार सप्ताह के अंदर झालसा के पास जमा करने को कहा. खंडपीठ ने रांची एक्सप्रेस वे की दलीलों को सुनने के बाद अवमानना की कार्यवाही से उसके एमडी को बरी कर दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 25 मार्च की तिथि निर्धारित की.

संपत्ति का ब्योरा प्रस्तुत करने का निर्देश

खंडपीठ ने रांची एक्सप्रेस-वे लिमिटेड के एमडी, निदेशक आदि की संपत्ति का ब्योरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, लेकिन आदेश का अनुपालन नहीं किया गया. कंपनी की ओर से 50.23% काम पूरा होने की बात कही जा रही है.

बाद में एनएचएआइ ने रांची एक्सप्रेस-वे से काम वापस लेकर नये सिरे से चार फेज में एनएच-33 के फोर लेनिंग कार्य शुरू किया गया. एमीकस क्यूरी अधिवक्ता आशुतोष आनंद ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि रांची-जमशेदपुर एनएच-33 की दयनीय स्थिति को गंभीरता से लेते हुए जारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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