महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर विशेष : मरांग गोमके ने कहा था गांधी आदिवासियों के सच्चे साथी थे

साकेत कुमार पुरी रांची : मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा मानते थे कि गांधी जी आदिवासियों के सच्चे दोस्त थे. महात्मा गांधी की हत्या (30 जनवरी 1948) के ठीक एक माह बाद 28 फरवरी 1948 को रांची में अखिल भारतीय आदिवासी महासभा का आयोजन हुआ था. इसके अध्यक्षीय भाषण की शुरुआत जयपाल सिंह ने महात्मा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 30, 2020 6:14 AM
साकेत कुमार पुरी
रांची : मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा मानते थे कि गांधी जी आदिवासियों के सच्चे दोस्त थे. महात्मा गांधी की हत्या (30 जनवरी 1948) के ठीक एक माह बाद 28 फरवरी 1948 को रांची में अखिल भारतीय आदिवासी महासभा का आयोजन हुआ था. इसके अध्यक्षीय भाषण की शुरुआत जयपाल सिंह ने महात्मा गांधी के नाम से की थी. उन्होंने कहा था ‘गांधी जी आदिवासियों के सच्चे मित्र थे. मैं जब दक्षिण अफ्रीका में था तो उनके द्वारा वहां चलाये गये आंदोलन की मुझे जानकारी हुई.
उस समय मेरे मन में अपने देश में रह रहे आदिवासी भाइयों का विचार आया. जब मैं भारत लौटा तो मैंने महसूस किया कि गांधी जी का आंदोलन समाज के सबसे पिछले पायदान पर बैठे लोगों के कल्याण पर ही केंद्रित है. उन्होंने ऐसे लोगों के उत्थान को ही अपने जीवन का मकसद बनाया था. हमने अपने समय के सबसे महान आदमी को खो दिया है. उनकी हत्या सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि मानवता की हत्या है.’
महात्मा गांधी का आदिवासियों के साथ गहरा नाता था. उन्होंने आदिवासियों पर अपनी गहरी छाप छोड़ी थी. झारखंड के रामगढ़ में वर्ष 1940 में हुए कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी के कहने पर वहां बिरसा मुंडा के नाम पर परिसर का नामकरण किया गया था. टाना भगतों के लिए महात्मा गांधी का काम तो सबके लिए उदाहरण ही है. टाना भगत आज भी गांधी के बताये मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं.

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