बजट आकार के करीब पहुंचा झारखंड पर कर्ज का बोझ

रांची : पिछले वित्तीय वर्ष (2018-19) तक राज्य सरकार पर कर्ज बढ़ कर चालू वर्ष (2019-20) के बजट आकार के करीब पहुंच गया है. साथ ही राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के मुकाबले कर्ज बढ़ कर 29.74 प्रतिशत हो गया है. वर्ष के अंत तक कर्ज बढ़ कर बजट आकार से ज्यादा हो सकता […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 27, 2019 2:26 AM
रांची : पिछले वित्तीय वर्ष (2018-19) तक राज्य सरकार पर कर्ज बढ़ कर चालू वर्ष (2019-20) के बजट आकार के करीब पहुंच गया है. साथ ही राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के मुकाबले कर्ज बढ़ कर 29.74 प्रतिशत हो गया है. वर्ष के अंत तक कर्ज बढ़ कर बजट आकार से ज्यादा हो सकता है. यह राज्य की वित्तीय स्थिति के लिए अच्छा संकेत नहीं है. सामान्य भाषा में इसे समझने के लिए यह कहना काफी होगा कि 100 रुपये खर्च करने की योजना बनाने वाले पर 100 रुपये से अधिक का कर्ज हो गया है.
जनवरी, 2019 में 2019-20 के लिए सरकार ने बजट का आकार 85429 करोड़ रुपये तय किया था. दूसरी तरफ राज्य सरकार ने ही 2018-19 की समाप्ति यानी 31 मार्च 2019 तक कर्ज का कुल बोझ बढ़ कर 85234 करोड़ रुपये होने का अनुमान किया है. यानी चालू वित्तीय वर्ष के बजट आकार और पिछले वित्तीय वर्ष के कर्ज के बीच सिर्फ 195 करोड़ रुपये का अंतर रह जायेगा. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार द्वारा कर्ज लेने और पुराने कर्ज में कुछ वापस करने के बाद भी 2019-20 के अंत में कर्ज का बोझ बजट आकार से ज्यादा होने का आशंका है.
क्योंकि वित्तीय वर्ष 2014-15 से कर्ज के बोझ में औसतन 10000 करोड़ रुपये सालाना की दर से वृद्धि हो रही है. सरकार के वित्तीय आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2010 तक राज्य पर कर्ज का कुल बोझ 28655.10 करोड़ रुपये था, जो 2018-19 तक बढ़ कर 85234 करोड़ रुपये हो गया. यानी पिछले आठ वर्षों में राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ कर दो गुना से थोड़ा ज्यादा हो गया.
  • 2014-15 से कर्ज के बोझ में औसतन 10,000 करोड़ सालाना की दर से वृद्धि
  • पिछले आठ वर्षों में राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ कर दो गुना से थोड़ा ज्यादा हुआ
  • नवंबर 2010 तक राज्य पर कर्ज का कुल बोझ 28655.10 करोड़ रुपये था
जीएसडीपी का 29.74% होगा कर्ज का बोझ राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2011-12 में सरकार ने विभिन्न स्रोतों से 8561.46 करोड़ रुपये कर्ज (ग्रॉस बौरोइंग) लिये थे. साथ ही पहले से चले आ रहे कर्ज में से 6552.75 करोड़ रुपये लौटाये थे. इस तरह 2011-12 में सरकार द्वारा लिया गया शुद्ध कर्ज (नेट बौरोइंग) 2008.71 करोड़ था.
पहले से चल रहे कर्ज के साथ जुड़ कर 2011-12 के अंत में सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ कर 30663.81 करोड़ हो गया. कर्ज का यह बोझ राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 20.32 प्रतिशत था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2019-20 के अंत में राज्य पर कर्ज का बोझ उसके जीएसडीपी का 29.74 प्रतिशत हो जायेगा.

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