पढ़ाते-पढ़ाते पॉलिटिकल गुरु भी बनते रहे हैं शिक्षक, शिक्षा के क्षेत्र से कई लोग बने हैं सांसद-विधायक

रांची : आम लोग सरकारी नौकरी को जीने का सुरक्षित साधन मानते हैं, पर ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो इस निश्चिंतता को छोड़ एक अनजानी राह पर निकल पड़ते हैं. जनसेवा, जनसेवक व राजनेता बनने के नाम पर. अपने झारखंड में भी ऐसा होता रहा है. दूसरे पेशे की तरह शिक्षक-प्रोफेसर का पेशा छोड़ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 19, 2019 9:07 AM
रांची : आम लोग सरकारी नौकरी को जीने का सुरक्षित साधन मानते हैं, पर ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो इस निश्चिंतता को छोड़ एक अनजानी राह पर निकल पड़ते हैं. जनसेवा, जनसेवक व राजनेता बनने के नाम पर. अपने झारखंड में भी ऐसा होता रहा है. दूसरे पेशे की तरह शिक्षक-प्रोफेसर का पेशा छोड़ कर राजनीति में आनेवाले झारखंड में भी कई हैं.
ऐसे लोगों ने लोकसभा व विधानसभा चुनावों में अपना भाग्य आजमाया तथा सांसद-विधायक बन गये. इनमें सबसे बड़ा नाम झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का है, जो कभी सरकारी स्कूल के शिक्षक थे. बाबूलाल कोडरमा के सांसद और केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं. वहीं कोडरमा के वर्तमान सांसद डॉ रवींद्र राय भी शिक्षक थे. उन्होंने इतिहास के लेक्चरर के रूप में आदर्श कॉलेज राजधनवार, गिरिडीह ज्वाइन किया था. बाद में वह संघ में शामिल हुए. धनबाद की पूर्व सांसद प्रो रीता वर्मा, हजारीबाग के पूर्व सांसद डॉ यदुनाथ पांडेय, दुमका के पूर्व सांसद प्रो स्टीफन मरांडी तथा लोहरदगा के पूर्व सांसद प्रो दुखा भगत विभिन्न कॉलेजों में प्रोफेसर रहे हैं या अब भी हैं.
उधर झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष प्रो दिनेश उरांव भी कॉलेज शिक्षक रहे हैं. वहीं विधानसभा की वर्तमान सदस्य व स्कूली शिक्षा तथा उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव (कोडरमा) तथा कल्याण व समाज कल्याण मंत्री डॉ लुइस मरांडी (दुमका) भी कॉलेज शिक्षक रह चुकी हैं. डॉ नीरा कोडरमा के एक इंटर कॉलेज में कॉमर्स पढ़ाती थीं. वहीं डॉ लुइस ने भी संताल के कई कॉलेजों में पढ़ाया है. झारखंड कैबिनेट के एक अौर मंत्री अमर बाउरी भी शिक्षक रह चुके हैं.
प्रदेश की राजनीित में सक्रिय स्कूल-कॉलेजों के शिक्षक
बाबूलाल मरांडी, डॉ रवींद्र राय, डॉ यदुनाथ पांडेय, प्रो रीता वर्मा, प्रो दुखा भगत व प्रो स्टीफन मरांडी तथा प्रो दिनेश उरांव, डॉ नीरा यादव, डॉ लुइस मरांडी.
कई शिक्षकों की नजर फिर किस्मत आजमाने पर
लोकसभा चुनाव-2019 में भी कई शिक्षक किस्मत आजमाना चाह रहे हैं. पिछली बार गिरिडीह सीट से प्रो यूसी मेहता ने आजसू पार्टी की टिकट से चुनाव लड़ा था. श्री मेहता मारवाड़ी कॉलेज में प्राचार्य हुआ करते थे.
पिछले चुनाव में आजसू की टिकट से ही धनबाद सीट से हेमलता एस मोहन ने चुनाव लड़ा था. श्रीमती मोहन राज्य महिला आयोग में अध्यक्ष हुआ करती थी. इससे पूर्व वह डीपीएस बोकारो की प्राचार्या थीं. संयुक्त बिहार के समय झारखंड के चतरा लोकसभा से डॉ शंकर दयाल सिंह चुने गये थे. श्री सिंह पांचवी लोकसभा में चुने जानेवाले सबसे युवा सांसद थे. श्री सिंह जाने-माने साहित्यकार थे. रांची विवि के शिक्षक डॉ दिवाकर मिंज मांडर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हुआ करते थे.
राष्ट्रीय राजनीति में रहा है शिक्षकों का क्रेज
राष्ट्रीय राजनीति में शिक्षकों का बड़ा क्रेज रहा है. देश के पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक ही थे. दो बार देश का प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह राजनीति में आने से पहले शिक्षक थे. वह देश के साथ-साथ विदेशों के कई संस्थानों में शैक्षणिक काम करते थे. भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी भी राजनीति के साथ-साथ शैक्षणिक कार्य भी करते थे. बिहार के रघुवंश प्रसाद सिंह भी कॉलेज में शिक्षक हुआ करते थे.

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