लोकसभा चुनाव: गाड़ी नहीं थी, साइकिल से निकलते थे प्रचार करने

दीनबंधुचतरा : चुनाव प्रचार के लिए सभी प्रत्याशी के पास गाड़ी भी नहीं हुआ करता था. प्रत्याशी पहले के चुनाव में पैदल व साइकिल में लाउडस्पीकर बांध कर प्रचार किया जाता था. समर्थक व पार्टी कार्यकर्ता पैदल घर-घर जाकर अपने प्रत्याशी के पक्ष में वोट मांगते थे. नि:स्वार्थ भाव से प्रचार करते थे. जहां रात […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 16, 2019 2:41 AM

दीनबंधु
चतरा : चुनाव प्रचार के लिए सभी प्रत्याशी के पास गाड़ी भी नहीं हुआ करता था. प्रत्याशी पहले के चुनाव में पैदल व साइकिल में लाउडस्पीकर बांध कर प्रचार किया जाता था. समर्थक व पार्टी कार्यकर्ता पैदल घर-घर जाकर अपने प्रत्याशी के पक्ष में वोट मांगते थे. नि:स्वार्थ भाव से प्रचार करते थे. जहां रात हो जाती, वहीं ठहर जाते थे. सुबह होने पर प्रचार में लग जाते थे.

राजा रामगढ़ की महारानी ललिता राजलक्ष्मी को छोड़ कर सभी प्रत्याशी पैदल घूम-घूम कर वोट मांगते थे. कार्यकर्ता अपने साथ भूना हुआ चना रखते थे. कार्यकर्ता के साथ प्रत्याशी भी चना खाकर दिन भर प्रचार करते थे. चुनाव प्रचार में कम खर्च हुआ करता था. पहले का प्रचार दीवारों में लिख कर किया जाता था.
जैसे ही चुनाव आता था पूरा दीवार चुनाव चिन्ह व पार्टी व प्रत्याशी के नाम से भर जाता था. पहले दीवार में लिखने के लिए किसी तरह का कोई अनुमति नहीं ली जाती थी. आज लोग लाखो रुपये प्रचार में खर्च करते हैं. कंप्यूटर, सोशल मीडिया को माध्यम बना कर लोगो तक अपना प्रचार करने लगे हैं. अब का चुनाव प्रचार हाईटेक हो गया हैं.
पूर्व सांसद डॉ शंकर दयाल के चचेरे भाई वंशोदय नारायण सिंह बताते हैं कि महारानी विजया राजे को हराने के लिए कश्मीर के राजा डॉ कर्ण सिंह ने कांग्रेस से टिकट दिलाकर चुनाव में उतारा था. उस वक्त पूरे क्षेत्र में राजा रामगढ़ का प्रभाव था. कोई उनके खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना चाहता था. डॉ शंकर दयाल सिंह हिम्मत कर चुनाव लड़े और 1971 का चुनाव जीते.
जनता के सहयोग से भारी मतों से विजय हुए. पूर्व सांसद के पुत्र रंजन कुमार सिंह ने बताया कि समय के साथ-साथ चुनाव प्रचार का माध्यम बदला. सोशल मीडिया से प्रचार होने लगा हैं. प्रचार का टेक्नोलॉजी बदला. चुनाव में अब पैसे का खेल होता हैं. उनका पिता मात्र 70 हजार रुपये में चुनाव जीते थे . अब के चुनाव में मतदाता जागरूक हो गये हैं. वोट का अधिकार समझने लगे हैं.

Next Article

Exit mobile version