रांची : आर्चबिशप टोप्पो ने जारी किया चालीसा का मेषपालीय धर्मपत्र

रांची : मसीहियों का 40 दिनों का महाउपवास काल ‘चालीसा’ छह मार्च (राख बुधवार) को शुरू हो रहा है. इसे लेकर आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने रांची महाधर्मप्रांत के मसीही विश्वासियों के लिए ‘धर्माध्यक्षों का मेषपालीय धर्मपत्र’ जारी किया है. इसमें आर्चबिशप ने कहा है कि चालीसा काल हमारे लिए आंतरिक नवीनीकरण का अनुकूल अवसर है़ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 5, 2019 8:56 AM
रांची : मसीहियों का 40 दिनों का महाउपवास काल ‘चालीसा’ छह मार्च (राख बुधवार) को शुरू हो रहा है. इसे लेकर आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने रांची महाधर्मप्रांत के मसीही विश्वासियों के लिए ‘धर्माध्यक्षों का मेषपालीय धर्मपत्र’ जारी किया है. इसमें आर्चबिशप ने कहा है कि चालीसा काल हमारे लिए आंतरिक नवीनीकरण का अनुकूल अवसर है़
उन्होंने कहा कि कलीसिया हमें प्रोत्साहित करती है कि चालीसा में हम प्रार्थना, उपवास, तपस्या, भिक्षादान, भले काम, पश्चाताप और धार्मिकता द्वारा अपना नवीनीकरण करे़ं इस नवीनीकरण का उद्देश्य है कि हम प्रभु यीशु ख्रीस्त के दुख भोग, मरण और पुनरुत्थान के पवित्र रहस्यों में उचित रीति से भाग ले सकें. हमारे प्रभु ने हमारे पापों के बदले अपमान और दुख झेला़ अंत में भयंकर पीड़ा सहते हुए अपने प्राण त्याग दिये़
इस तरह अनंत मृत्यु पर विजय पाकर उन्होंने मनुष्य के लिए मुक्ति हासिल की़ वास्तव में चालीसा पास्का की आध्यात्मिक तैयारी है़ इस अवधि को व्यर्थ न जाने दे़ं ईश्वर से कृपा मांगें कि इस दरम्यान हम सच्चे हृदय परिवर्तन के मार्ग पर अग्रसर हो सकें. हम प्रार्थना करें कि ईश्वर हमारे हृदय को अपने समान नम्र और विनीत बना दे़ हमारी आशा और प्रार्थना है कि वर्तमान चालीसा आध्यात्मिक रूप से प्रत्येक विश्वासी और कलीसियाई समुदाय के लिए फलदायक हो़
चालीसा के सभी शुक्रवार परहेज के दिन : इस धर्मपत्र में मसीहियों को कुछ निर्देश भी दिये गये है़ं इसमें कहा गया है कि राख बुधवार और पवित्र शुक्रवार उपवास और परहेज के दिन हैं. परहेज का अर्थ है- मांस और मांसवाली चीजों का सेवन नहीं करें. चालीसा के सभी शुक्रवार परहेज के दिन है़ं
14 वर्ष के होने पर सभी कैथोलिक के लिए परहेज का नियम लागू होता है़ 18 वर्ष पूरा होने पर और 60वां वर्ष शुरू होने तक सभी कैथोलिक के लिए उपवास करने का नियम लागू है़ इसके अतिरिक्त विश्वासी अपनी इच्छा से प्रार्थना- आराधना, त्याग- तपस्या, सेवा- परोपकार, बाइबल पाठ, मनन-चिंतन, भिक्षा-दान, तीर्थ यात्रा आदि कर सकते है़ं

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