जल, जंगल, जमीन का मुद्दा सामाजिक संगठनों ने ही जिंदा रहा है : सुबोधकांत

– जन घोषणापत्र पर विचार-विमर्श के लिए सेमिनार का आयोजन रांची : जल, जंगल, जमीन का मुद्दा सामाजिक संगठनों ने ही जिंदा रखा है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को जन-संगठनों की लड़ाई के कारण ही सरकार को वापस लेना पडा. एक्‍त बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कही. श्री सहाय जन-घोषणा पत्र […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 3, 2019 7:38 PM

– जन घोषणापत्र पर विचार-विमर्श के लिए सेमिनार का आयोजन

रांची : जल, जंगल, जमीन का मुद्दा सामाजिक संगठनों ने ही जिंदा रखा है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को जन-संगठनों की लड़ाई के कारण ही सरकार को वापस लेना पडा. एक्‍त बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कही. श्री सहाय जन-घोषणा पत्र पर विमर्श के लिए एचआरडीसी सभागार में एक दिवसीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने 31 सूत्री घोषणा पत्र का समर्थन करते हुए कहा की अगर राजनीतिक पार्टी के अध्यक्षों की इन मुद्दों पर सहमती है तो चुनाव पूर्व जनता को लिखित वादा करें. सत्ता का चरित्र ही ऐसा है की सरकारें पूजीपतियों के साथ खड़ी हो जाती हैं.

सेमिनार की अध्‍यक्षता कर रहे प्रो हसन रजा ने कहा की आज सबसे बड़ा मसला लोकतंत्र और हिंदुस्तानियत का है. दोनों को एक दूसरे से ताकत मिलती है. उन्होंने इस बात से असहमति जतायी कि जिस क्षेत्र में जिसकी संख्या ज्यादा है उसे ही उम्मीदवर बनाया जाना चाहिए. मसलन यह बात गलत है की अगर यहां मुसलमान की आबादी ज्यादा है तो किसी मुसलमान को ही उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए.

उन्‍होंने कहा कि ऐसी मांगों से हिंदुस्तान कमजोर होता है. महत्वपूर्ण यह होना चाहिए कि उम्मीदवार योग्य हो. जिसके अंदर समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने और उनकी समस्याओं को हल करने की काबलियत हो.

मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने कहा कि झारखंड को बचा के रखने में यहां के जन-आंदोलनों एवं जनता के संघर्ष का महत्‍वपूर्ण योगदान है. जन-आंदोलनों के नेतृत्व ने हमेशा जन-जन की आवाज को बुलंद कर सरकार की जन-विरोधी नीतियों को हराकर झारखंड को अब तक बचा कर रखा है. ऐसे में आज की तारीख में जनता की आवात को मजबूत कर उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए जन-आंदोलन के सदस्यों को आने वाले चुनाव में महागठबंधन में उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए.

कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी साथियों ने घोषणा-पत्र में सम्मिलित सभी 31 मांगो का अनुमोदन किया. वक्ता के रूप में आलोका कुजूर (एनएपीएम), लोथर तोपनो (पहड़ा राजा), सुशीला टोपनो (ग्राम सभा आंदोलन), प्रेमचंद मुर्मू (आदिवासी बुद्धिजीवी मंच), एस अली (आमया), नदीम खान (एआईपीएफ), रतन तिर्की (टीएसी के सदस्य), थियोडोर किड़ो (आदिवासी सेंगेल आंदोलन के अध्यक्ष), शैलेन्द्र, फैसल अनुराग, बलराम, अशोक वर्मा, जेम्स हेरेंज, ज्यां द्रेज एवं अन्य उपस्थित थे.

वहीं इस सेमिनार में राजनीतिक पार्टियों से प्रकाश विप्‍लव (राज्य सचिव मंडल के सदस्य सीपीएम), पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय (कांग्रेस) मौजूद थे. क्रांतिकारी गीत अनिल अंशुमन जी ने पेश किये. स्वागत भाषण, अशोक वर्मा संयोजक झारखंड लोकतांत्रिक मंच ने दिया, साथ ही कार्यक्रम का संचालन अफजल अनीस ने किया.

Next Article

Exit mobile version