रांची : 201 रुपये में भी सिटी बसें नहीं चलाना चाहते हैं ऑपरेटर, और कम होगी दर, नौंवी बार भी टेंडर गया खाली, दसवीं की तैयारी

रांची : रांची नगर निगम के लिए 91 सिटी बसें चलवाना सिरदर्द बन गया है. क्योंकि, नौवीं बार निकाले गये टेंडर में भी किसी ऑपरेटर ने रुचि नहीं दिखायी. वह भी तब, जब पुरानी बसों के लिए मात्र 201 रुपये प्रतिदिन और नयी बसों के लिए 451 रुपये प्रतिदिन भुगतान की शर्त रखी गयी थी. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 28, 2019 6:33 AM
रांची : रांची नगर निगम के लिए 91 सिटी बसें चलवाना सिरदर्द बन गया है. क्योंकि, नौवीं बार निकाले गये टेंडर में भी किसी ऑपरेटर ने रुचि नहीं दिखायी.
वह भी तब, जब पुरानी बसों के लिए मात्र 201 रुपये प्रतिदिन और नयी बसों के लिए 451 रुपये प्रतिदिन भुगतान की शर्त रखी गयी थी. यानी बसें चलवाने वाले ऑपरेटर को प्रति बस के हिसाब से इतनी राशि हर दिन नगर निगम को देनी होगी. खैर, रांची नगर निगम जल्द ही नये सिरे से दसवीं बार टेंडर निकालने की तैयार कर रहा है.
गौरतलब है कि रांची नगर निगम के पास 66 पुरानी बसें (स्वराज माजदा निर्मित) और 25 नयी बसें (टाटा निर्मित) हैं. नौवीं बार निकाले गये टेंडर में न्यूनतम दरें रखे जाने के बावजूद कोई ऑपरेटर आगे नहीं आया. संभावना जतायी जा रही है कि नगर निगम दसवीं बार निकाले जानेवाले टेंडर में बस परिचालन के एवज में ली जानेवाली राशि और कम कर सकता है. इधर, नगर निगम के बकरी बाजार स्थित स्टोर में पिछले 13 महीने से खड़ी 66 बसें जर्जर होती जा रही हैं. वहीं, 25 बसों का परिचालन फिलहाल किशोर मंत्री द्वारा किया जा रहा है.
सिटी बसों से ज्यादा कमाते हैं आॅटो और ई-रिक्शा वाले
रांची नगर निगम मात्र 201 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से सिटी बसें चलवाने को तैयार हैं. इसके बावजूद कोई ऑपरेटर आगे नहीं आ रहा है. वहीं, शहर में चलने वाले ऑटो प्रतिदिन 600-800 रुपये की कमाई कर रहे हैं. जबकि ई-रिक्शा वाले प्रतिदिन 400-600 रुपये की कमाई करते हैं. बुधवार को प्रभात खबर की टीम ने कचहरी चौक पर ई-रिक्शा चालक संजय पासवान से बात की. उसने बताया कि ई-रिक्शा चलाकर वह प्रतिदिन 400 से 600 रुपये की कमाई कर लेता है.
इसमें से मालिक को वह प्रतिदिन 350 रुपये देता है. वहीं ऑटो चालक शंकर यादव ने कहा कि उसे प्रतिदिन 600-800 रुपये की कमाई हो जाती है. इसमें से 350 रुपये मालिक को देते हैं. 150 रुपये का डीजल भराना पड़ता है. जो पैसे बचते हैं, वे हमारे होते हैं.

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