देवघर के नैयाडीह पहुंचे मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा – हम पहले बसाते हैं, फिर विस्थापन

देवघर/रांची : विस्थापन का दर्द हमें विरासत के रूप में मिला. 67 साल तक झारखंड ने विस्थापन का दंश झेला है. लेकिन हमारी सरकार पहले पुनर्वास फिर विस्थापन का काम कर रही है. इसका जीता जागता उदाहरण है बैद्यनाथनगर नैयाडीह. उक्त बातें मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बुधवार को बैद्यनाथ नगर नयाडीह में देवघर हवाई अड्डा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 17, 2019 1:08 AM
देवघर/रांची : विस्थापन का दर्द हमें विरासत के रूप में मिला. 67 साल तक झारखंड ने विस्थापन का दंश झेला है. लेकिन हमारी सरकार पहले पुनर्वास फिर विस्थापन का काम कर रही है.
इसका जीता जागता उदाहरण है बैद्यनाथनगर नैयाडीह. उक्त बातें मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बुधवार को बैद्यनाथ नगर नयाडीह में देवघर हवाई अड्डा प्राधिकरण द्वारा विस्थापित परिवारों के लिए निर्मित टाउनशिप निरीक्षण के दौरान कही.
मुख्यमंत्री ने कहा
राजस्व विभाग को निर्देश दिया गया है कि बड़े विकास कार्य में विस्थापितों को उनकी जमीन का पट्टा दें, क्योंकि जमीन देने वाला भी जमीन का मालिक होना चाहिए.
देवघर हवाई अड्डा विस्तारीकरण से विस्थापित हुए परिवारों को 50 लाख रुपये और मुफ्त जमीन दिया जा रही है. उनके लिए टाउनशिप का निर्माण किया जा रहा है, जहां गुणवत्तापूर्ण मूलभूत सुविधाएं दी जायेंगी. आनेवाले दिनों में यह विस्थापन के बाद पुनर्वास राज्य के लिए मॉडल बनेगा.
इससे पहले मुख्यमंत्री, गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे एवं देवघर विधायक नारायण दास ने कार्यक्रम का विधिवत उदघाटन किया. मुख्यमंत्री ने नैयाडीह में बन रहे तालाब का जायजा भी लिया. बैद्यनाथ वाटिका का अवलोकन कर उदघाटन किया. फूलों की खेती कर रही महिलाओं से बातचीत की.
अब नहीं झेलना होगा विस्थापन का दंश :मुख्यमंत्री ने कहा : रांची में विधानसभा निर्माण के दौरान कई परिवार विस्थापित हुए, लेकिन उनकी सहमति से उनके अनुसार, उनके लिए रहने की व्यवस्था 245 करोड़ की लागत से की गयी. आज वे सभी खुश हैं.
सरकार को इस बात का ध्यान है कि 67 साल तक राज्य ने विस्थापन का दंश झेला है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. आपने हमें स्थिरता और विकास के लिए अपने वोट के माध्यम से मजबूती प्रदान की है. संताल परगना जो विकास से दूर रहा, इस कलंक को हमें दूर करना है.
संताल परगना को विकसित करना मेरी प्राथमिकता है. मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि आप सभी धैर्य रखें. आनेवाले समय में प्रत्येक जिले को इंजीनियरिंग कॉलेज दिया जायेगा.
विस्थापन अभिशाप नहीं वरदान है : निशिकांत
गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने कहा कि विस्थापन अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है. नैयाडीह इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. कोई भी प्रोजेक्ट बगैर जमीन के पूरा नहीं हो सकता है. वर्ष 2012 के पहले हालात अलग थे. आज हालात बदले हुए हैं. सांसद ने कहा कि देवघर सहित संताल परगना में पानी की बड़ी समस्या है.
अगर पानी नहीं मिलेगा तो विकास संभव नहीं है. मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में घोषणा की गयी थी कि देवघर में इंजीनियरिंग कॉलेज खोला जायेगा. देवघर में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा स्मृति ईरानी द्वारा की गयी थी. अब तक वह भी लंबित है.

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