रांची : प्रभात खबर ने की पारा शिक्षकों के स्थायीकरण को लेकर मंत्रियों से बात, जानिए मंत्रियों ने क्‍या कहा ?

रांची : पारा शिक्षकों की स्थायीकरण की मांग को राज्य के मंत्री जायज नहीं ठहरा रहे हैं. इन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि पारा शिक्षकों के स्थायीकरण में कानूनी अड़चन है. यह संभव नहीं है. हालांकि, सरकार पारा शिक्षकों की अन्य जायज मांगों को लागू करने पर विचार कर रही है. साथ ही कहा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 21, 2018 6:27 AM
रांची : पारा शिक्षकों की स्थायीकरण की मांग को राज्य के मंत्री जायज नहीं ठहरा रहे हैं. इन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि पारा शिक्षकों के स्थायीकरण में कानूनी अड़चन है. यह संभव नहीं है. हालांकि, सरकार पारा शिक्षकों की अन्य जायज मांगों को लागू करने पर विचार कर रही है.
साथ ही कहा कि अब तक जो भी उनकी मांगें माने जाने लायक थीं, सरकार ने उसे माना है. शिक्षा व स्वास्थ्य में राजनीति नहीं होनी चाहिए. पारा शिक्षक राजनीति छोड़ कर स्वच्छ मन से बात करें. प्रभात खबर ने पारा शिक्षकों के स्थायीकरण की मांग पर राज्य के मंत्रियों से बात की. प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश.
शिक्षा व स्वास्थ्य में नहीं होनी चाहिए राजनीति : डॉ नीरा यादव
शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने कहा कि शिक्षा व स्वास्थ्य में राजनीति नहीं होनी चाहिए. विद्यालय में सभी के बच्चे पढ़ते हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता सभी को हाेती है. इसमें राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास नहीं होना चाहिए. पारा शिक्षकों के आंदोलन के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पारा शिक्षकों को भाजपा लायी है. राज्य में जब से बहुमत की सरकार बनी, तब से उनकी मांगों पर लगातार विचार किया जा रहा है.
उनकी जो भी मांगें पूरी करने लायक थीं, उसे पूरा किया गया है. शिक्षक कल्याण कोष के लिए राशि पांच करोड़ से बढ़ा कर दस करोड़ की गयी है. टेट के प्रमाण पत्र की मान्यता पांच वर्ष से बढ़ा कर सात वर्ष की गयी है. पारा शिक्षकों के मानदेय में भी बढ़ोतरी की जा रही है. राज्य के स्कूलों के संचालन में पारा शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. मंत्री ने कहा कि पर हम किसी भी पद पर रहें, हमें अपने मान-सम्मान का ध्यान रखना चाहिए.
सभी को अपनी मांग रखने का अधिकार है. सरकार भी जहां तक संभव है, एक-एक कर मांग पूरी करने का प्रयास कर रही है. स्थापना दिवस के दिन आंदोलन नहीं करने का आग्रह मुख्य सचिव की ओर से किया गया था. इसके बाद भी आंदोलन के लिए लिए उसी दिन को चुना गया. इस बात को पारा शिक्षकों को भी ध्यान में रखना चाहिए था. हर समय सरकार ने उनकी मांगों को सुना एवं जो संभव हो पाया उसे पूरा किया गया. ऐसे में पारा शिक्षकों को भी संयम रखना चाहिए था. उन्हें तकनीकी कारणों को समझना होगा.
स्थायीकरण में कानूनी अड़चन : चंद्र प्रकाश
पेयजल स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने कहा कि स्थायीकरण में कानूनी अड़चन है. देश में कहीं भी इन्हें स्थायी नहीं किया गया है. बाकी सारी मांगों पर सरकार भी गंभीर है.
बेहतर होगा कि सरकार ने जो प्रक्रिया बनायी है, पारा टीचर उसमें शामिल हों. सरकार 50 प्रतिशत सीट पारा शिक्षकों के लिए आरक्षित कर चुकी है. पिछली बार सात हजार पारा टीचर चयनित हुए थे. इस बार भी बड़ी संख्या में पारा टीचर चयनित हुए हैं. पारा टीचर सिस्टम से आयें. अपनी बातों को लोकतांत्रिक तरीके से रखें. राजनीति से बचें. सरकार बाकी सारी मांगों को पूरा करने के लिए तैयार है.
हर मांग को पूरा करना संभव नहीं : सीपी सिंह
नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि पारा टीचरों की स्थायीकरण की मांग को किसी भी सरकार के लिए पूरा करना संभव नहीं है. जो कहते हैं कि सत्ता में आने पर कर देंगे, तो मैं पूछता हूं कि जब वे सत्ता में थे तब क्यों नहीं किया. केवल बरगलाने का काम कर रहे हैं.
पारा शिक्षकों को धोखे में रखना उचित नहीं है. पारा टीचर को भी राजनीति छोड़कर सरकार से साफ मन से बात करना चाहिए. किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता की तरह हरकत न करें, बल्कि एक शिक्षक बन कर बात करें. मैं इस बात का पक्षधर हूं कि इन्हें परिवार और बच्चों के लिए इतना मानदेय जरूर मिले कि इनका लालन-पालन हो सके.
उचित मांगों पर विचार कर रही सरकार : रामचंद्र चंद्रवंशी
पारा शिक्षकों के लिए मुख्यमंत्री खुद चिंतित हैं. शिक्षा मंत्री भी अपील कर रही हैं. पारा शिक्षकों की उचित मांगाें पर विचार किया जायेगा.
पांच राज्यों से पारा शिक्षकों की स्थिति व उनको दी जा रही सुविधाओं की पूरी जानकारी मंगायी गयी है. उसका आकलन किया जायेगा. उचित मांगों काे सरकार मानेगी, लेकिन पारा शिक्षकाें में भी काफी कमियां हैं. स्थापना दिवस के दिन इस तरह उग्र हाेकर विरोध करना कहीं से जायज नहीं है. शांतिपूर्ण तरीके से भी अपनी मांगों से अवगत कराया जा सकता था. हमलोग यह जानते हैं कि ये हमारे ही बच्चे हैं, लेकिन इस तरह अपनी छवि पेश करना पूरी तरह गलत है. सरकार शांतिपूर्ण माहौल में बातचीत करने के प्रयास में जुटी हुई है.

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