रांची : जनजातीय महिलाओं में बड़ी समस्या है कुपोषण

रांची : डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान में जनजातीय महिलाअों में पोषण विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला शुक्रवार को हुई. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित केंद्रीय राज्यमंत्री सुदर्शन भगत ने कहा कि यह पूरा माह पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है. जनजातीय महिलाअों में कुपोषण बड़ी समस्या है. झारखंड […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 15, 2018 8:16 AM
रांची : डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान में जनजातीय महिलाअों में पोषण विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला शुक्रवार को हुई. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित केंद्रीय राज्यमंत्री सुदर्शन भगत ने कहा कि यह पूरा माह पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है. जनजातीय महिलाअों में कुपोषण बड़ी समस्या है. झारखंड में प्रकृति द्वारा बहुत सारे साग- सब्जियां, फल-फूल, वनौषधि प्राप्त होते हैं. उससे कुपोषण से बचे रह सकते हैं.
मौके पर कल्याण विभाग की सचिव हिमानी पांडे ने कहा कि राज्य में कुपोषण की स्थिति से सभी वाकिफ हैं. कुपोषित महिलाअों व बच्चों की संख्या इतनी ज्यादा है कि यह चिंता का विषय है.
आइसीडीएस के जरिये कुपोषण दूर करने की कोशिश की जा रही है. स्वागत भाषण में जनजातीय शोध संस्थान के निदेशक रणेंद्र ने कहा कि जनजातीय महिलाअों का पोषण गंभीर अौर महत्वपूर्ण विषय है. जनजातीय समाज में बड़ा तबका ऐसा है, जिसे दोनों समय का पर्याप्त भोजन भी नहीं मिलता है.
यूनिसेफ की केया चटर्जी ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से महिलाअों अौर बच्चों में कुपोषण की स्थिति पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि राज्य में दस में सात बच्चे एनिमिया से पीड़ित हैं. हर दूसरा बच्चा नाटा अौर कुपोषित है. ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत आहार जैसे मड़ुआ, मक्का, चाकौड़ साग, केंदू, बेर, महुआ जैसी चीजों से भी महिला अौर बच्चों में कुपोषण की स्थिति को बेहतर किया जा सकता है.

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