रांची : पत्थलगड़ी के नाम पर जो हो रहा, वह ठीक नहीं : जस्टिस (से) दास

रांची : वनवासी कल्याण केंद्र की जनजाति विधिक सहायता केंद्र द्वारा सीसीएल के विचार मंच सभागार में पत्थलगड़ी की वैधानिक स्थिति व भूमि अधिग्रहण बिल का सामाजिक प्रभाव विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. सेवानिवृत्त न्यायाधीश पीआर दास ने कहा कि खूंटी में पत्थलगड़ी के नाम पर जो कुछ हो रहा है, उसे किसी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 16, 2018 8:03 AM
रांची : वनवासी कल्याण केंद्र की जनजाति विधिक सहायता केंद्र द्वारा सीसीएल के विचार मंच सभागार में पत्थलगड़ी की वैधानिक स्थिति व भूमि अधिग्रहण बिल का सामाजिक प्रभाव विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. सेवानिवृत्त न्यायाधीश पीआर दास ने कहा कि खूंटी में पत्थलगड़ी के नाम पर जो कुछ हो रहा है, उसे किसी भी रूप में सही नहीं ठहराया जा सकता.
देश में किसी भी जगह, किसी एक व्यक्ति के चाहने से वह सरकार से ऊपर नहीं हो सकता है. देश में कानून से बढ़कर कोई नहीं है. इसे जल्द से जल्द रोकने की जरूरत है. राज्य सरकार को लोगों को जागरूक करने के लिए कई जरूरी कदम उठाने होंगे.
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डी भरत कुमार ने कहा कि खूंटी में पांच महिलाओं के साथ जो हुआ, उसकी जितनी निंदा हो वह कम है. जो लोग उस क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाने जा रहे हैं, उनका व्यवहार ऐसा हो, जिससे लोग उन्हें अपने बीच का समझे़ं यदि उसी टोले-मोहल्ले के हों, तो बेहतर होगा.
ऐसे लोग बेहतर तरीके से अपने गांव के लोगों को समझा सकते हैं. रांची जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय विद्रोही ने कहा कि पत्थलगड़ी आदिवासियों की परंपरा है. लेकिन जागरूकता के अभाव में इसने हिंसक रूप ले लिया है. कुछ लोग भारतीय संविधान का हवाला देकर खुद का शासन चलाने की घोषणा कर रहे हैं, जो गलत है.
सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि झारखंड में उद्याेग लगने की कई संभावनाएं हैं. इसके लिए भूमि अधिग्रहण आवश्यक है.
सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह ने कहा कि जब हम विकास की बात करते हैं, ताे इसमें सबका साथ सबका विकास का सिद्धांत लेकर चलना होगा. श्री सिंह ने कहा कि भारत युवाओं का देश कहलाता है. इसलिए युवाओं को अधिक से अधिक संख्या में रोजगार उपलब्ध कराना होगा.
इसके लिए उद्योग जरूरी है. उद्योग लगेंगे तो राेजगार मिलेगा. प्रांत अध्यक्ष डॉ एचपी नारायण ने कहा कि खूंटी में फैले अंधकार को दूर करने के लिए हमें लाठी नहीं बल्कि दीया जलाने की आवश्यकता है. इस कार्य में जनजाति विधिक सहायता केंद्र का महत्वपूर्ण रोल होगा. कार्यक्रम को रामकृष्ण तिवारी, शंकर टोप्पो, डॉ सुखी उरांव, आदर्श आदि ने संबोधित किया़

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