पलामू टाइगर रिजर्व की घटना : नक्सली धमकी के बाद सर्वे करने गयी टीम लौटी

मनोज सिंह रांची : भारत सरकार की संस्था वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआइआइ) की टीम पलामू टाइगर रिजर्व में बिना काम किये ही लौट गयी. टीम यहां सर्वे करने आयी थी. टीम के सदस्य यहां समाप्त हो रहे टाइगर के कारणों को समझ रहे थे. इस दौरान कई सुदूर गांव भी गये थे. वहां […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 20, 2018 8:19 AM
मनोज सिंह
रांची : भारत सरकार की संस्था वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआइआइ) की टीम पलामू टाइगर रिजर्व में बिना काम किये ही लौट गयी. टीम यहां सर्वे करने आयी थी. टीम के सदस्य यहां समाप्त हो रहे टाइगर के कारणों को समझ रहे थे.
इस दौरान कई सुदूर गांव भी गये थे. वहां कुछ लोगों ने टीम के सदस्यों को दोबारा नहीं आने की धमकी दी. इसके बाद टीम के सदस्य काम समाप्त किये बिना ही वहां से चले गये. उन्होंने इसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को भी दी. वन विभाग के वरीय पदाधिकारियों ने इसकी पुष्टि भी की है. अधिकारियों ने कहा कि टाइगर रिजर्व में ट्रैप कैमरा लगाना है. टीम के सदस्य कैमरा लगाने में भी सहयोग कर रहे थे.
पर स्थानीय लोगों ने नक्सली समर्थक होने की बात कहते हुए कैमरा लगाने से भी मना कर दिया है. ऐसा करने पर बड़ी घटना को अंजाम देने की चेतावनी दी है.
1026 वर्ग किलोमीटर में है पीटीआर
पलामू टाइगर रिजर्व का एरिया करीब 1026 वर्ग किलोमीटर का है. पूरा एरिया लातेहार और पलामू जिले में पड़ता है. इसकी स्थापना 1974 में हुई थी. करीब 226 किलोमीटर का कोर एरिया है. इसमें 200 से अधिक गांव हैं. एक लाख से अधिक आबादी इस इलाके में रहती है. इसमें कई एेसा इलाका है, जहां पूर्व में नक्सली गतिविधियां संचालित होती थी. आज भी कई इलाकों में वन विभाग या जिला प्रशासन के अधिकारी नहीं जाते हैं.
डब्ल्यूआइअाइ की टीम को पलामू टाइगर रिजर्व में अध्ययन का काम मिला था. टीम को यहां से पूरा सहयोग मिल रहा था. फिलहाल सर्वे का काम बंद हो गया है. वन विभाग उनकी हर समस्या दूर करने के लिए कृत संकल्प है. नयी परिस्थिति में डब्ल्यूआइअाइ की टीम कैसे काम करेगी, इस पर विचार किया जा रहा है.
– एलआर सिंह, पीसीसीएफ, वन्य प्राणी

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