रांची : अब ग्रामीण बैंककर्मियों को मिलेगी पेंशन

रांची : ग्रामीण बैंकों के सेवानिवृत्त कर्मियों को अब औसतन अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत मूल पेंशन और उस पर महंगाई भत्ता मिलेगा. उच्चतम न्यायालय ने ग्रामीण बैंक कर्मियों को व्यावसायिक बैंकों में लागू पेंशन योजना 1993 को हर हाल में तीन माह के अंदर लागू करने का आदेश दिया है. इससे ग्रामीण बैंकों में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 11, 2018 7:08 AM

रांची : ग्रामीण बैंकों के सेवानिवृत्त कर्मियों को अब औसतन अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत मूल पेंशन और उस पर महंगाई भत्ता मिलेगा. उच्चतम न्यायालय ने ग्रामीण बैंक कर्मियों को व्यावसायिक बैंकों में लागू पेंशन योजना 1993 को हर हाल में तीन माह के अंदर लागू करने का आदेश दिया है.

इससे ग्रामीण बैंकों में कार्यरत 90,000 अधिकारी, कर्मचारी एवं 30,000 सेवानिवृत कर्मी लाभान्वित होंगे. यह बातें यूनाइटेड फोरम ऑफ ग्रामीण बैंक यूनियंस के संयोजक डीएन त्रिवेदी ने रविवार को कचहरी रोड स्थित होटल गंगा आश्रम में कही. श्री त्रिवेदी ग्रामीण बैंक के रिटायर्ड कर्मियों को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से लंबी लड़ाई लड़ी गयी. न्यायालय का फैसला हमारे पक्ष में आया. उच्चतम न्यायालय ने 25 अप्रैल 2018 को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार के मामले को खारिज कर दिया. सरकार को अब पेंशन देना होगा. 11 जून को केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त और 12 को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ वार्ता होगी. पेंशन को किस प्रकार लागू किया जाये, इस पर चर्चा होगी.

पेंशन विजयोत्सव मना : इधर, झारखंड ग्रामीण बैंक के सेवानिवृत्त बैंककर्मियों ने व्यावसायिक बैंकों के समान पेंशन दिये जाने संबंधित उच्चतम न्यायालय के निर्णय को लेकर पेंशन विजयोत्सव मनाया गया. सेवानिवृत्त कर्मियों ने झारखंड ग्रामीण बैंक रिटायरीज फेडरेशन की स्थापना की. 11 सदस्यीय टीम का गठन किया गया.

इसमें नवल किशोर वर्मा को संयोजक बनाया गया. सम्मेलन को डॉ एपी गुप्ता, लालू उरांव, रंजीत उरांव, विजय कुमार ठाकुर, वीके सारंगी, योगराज साहू, युगल किशोर मिश्रा ने भी संबोधित किया. अध्यक्षता के साहू और मंच संचालन संयोजक नवल किशोर वर्मा ने किया.

11, 12 को होगी वार्ता

प्रतिमाह 74 से बढ़ कर 1024 हुए सिजेरियन अॉपरेशन

अभी भी कई जिला अस्पतालों का प्रदर्शन सिजेरियन अॉपरेशन के मामले में ठीक नहीं

रांची : जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए कई बार सिजेरियन अॉपरेशन जरूरी हो जाता है. बदलती जीवन शैली व अन्य कारणों से यह माना जाता है कि कुल प्रसव में से अधिकतम 10 फीसदी प्रसव में सिजेरियन अॉपरेशन जरूरी होता है. इस नाते सरकार भी इस अॉपरेशन को जिसका तकनीकी नाम सी-सेक्शन है, पूरा करने पर जोर देती है, ताकि मातृ मत्यु दर व शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके.

इधर, झारखंड में सदर अस्पताल सहित सभी 73 फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) में, जहां सिजेरिन अॉपरेशन होते हैं, इस पर जोर दिया जा रहा है. वर्ष 2011-12 में जहां राज्य भर में हर माह सिर्फ 74 सी-सेक्शन होते थे, वहीं मार्च 2017-18 में प्रति माह 1024 अॉपरेशन दर्ज किये गये.

इसका सुखद परिणाम भी आया है. इस वर्ष मई में जारी किये गये सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) के आंकड़ों के अनुसार झारखंड में प्रसव के दौरान होने वाली मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 165 प्रति लाख हो गयी है. यह पिछली बार (2011-2013 में) जारी 208 की तुलना में 43 कम तथा राष्ट्रीय अनुपात 130 के काफी करीब है. पर अभी भी कई जिला अस्पतालों का प्रदर्शन सिजेरियन अॉपरेशन के मामले में ठीक नहीं है.

सबसे खराब स्थिति चतरा सदर अस्पताल की है, जहां वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान सिर्फ चार अॉपरेशन हुए. वहीं पाकुड़ में 47, जामताड़ा में 64, दुमका में 81 तथा सिमडेगा सदर अस्पताल में पूरे वर्ष सिर्फ 89 अॉपरेशन हुए. यहां कुल 23 जिला अस्पतालों में वर्ष 2017-18 के दौरान हुए सी-सेक्शन का ब्योरा दिया जा रहा है. धनबाद में सदर अस्पताल नहीं है.

विभिन्न जिला (सदर) अस्पतालों में सिजेरियन (घटते क्रम में)

जिला अस्पताल सिजेरियन अॉपरेशन हुए

रांची 2101

हजारीबाग 1940

साहेबगंज 997

पलामू 856

कोडरमा 579

गुमला 400

गढ़वा 383

पू.सिंहभूम 349

जिला अस्पताल सिजेरियन अॉपरेशन हुए

देवघर 300

रामगढ़ 279

लोहरदगा 264

गोड्डा 234

गिरिडीह 218

खूंटी 182

बोकारो 138

सरायकेला 133

जिला अस्पताल सिजेरियन अॉपरेशन हुए

प.सिंहभूम 115

लातेहार 102

सिमडेगा 89

दुमका 81

जामताड़ा 64

पाकुड़ 47

चतरा 04

कुल 9855

वर्षवार बढ़ा सी-सेक्शन

वित्तीय वर्ष कुल अॉपरेशन/माह

2011-12 74

2012-13 162

2013-14 367

2014-15 312

2015-16 512

2016-17 677

2017-18 1024

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