प्रबंधन के फैसले से लोकल सेल के 10 हजार मजदूरों के सामने संकट
प्रबंधन के फैसले से लोकल सेल के 10 हजार मजदूरों के सामने संकट
गिद्दी. अरगड्डा क्षेत्र की तीन परियोजनाओं में लोकल सेल से लगभग 10 हजार ग्रामीण मजदूर जुड़े हैं. उनके लिए यह रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया है. प्रबंधन ने मजदूरों को कोयला लदाई स्थल पर जाने से रोक दिया है. प्रबंधन के इस फैसले से मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. इसे लेकर रोड सेल संचालन समिति, मजदूरों व कोयला लिफ्टरों में प्रबंधन के प्रति नाराजगी है. 70 के दशक में इस इलाके में बेरोजगारी दूर करने के लिए लोकल सेल चालू किया गया था. इसके लिए लंबा संघर्ष हुआ था. गिद्दी में लोकल सेल के लगभग 350 दंगल, गिद्दी सी में 121 व रैलीगढ़ा में 248 दंगल हैं. एक दंगल में 15 मजदूर रहते हैं. इस दृष्टिकोण से लगभग 10 हजार मजदूर लोकल सेल से जुड़े हैं. इससे उनके घरों में चूल्हा जलता है. पिछले कई दशक तक मैनुअल लोडिंग की व्यवस्था थी, लेकिन अब पेलोडर व्यवस्था बहाल कर दी गयी है. प्रबंधन मजदूरों को अब कोयला लदाई स्थल पर जाने से रोक रहा है. इससे कोयला लिफ्टर, मजदूर व रोड सेल संचालन समिति की परेशानी बढ़ गयी है. प्रबंधन इस फैसले के लिए अपना तर्क दे रहा है. बताया जाता है कि रैलीगढ़ा लोकल सेल के मजदूरों का परिचय पत्र एसडीओ व स्थानीय पुलिस ने वर्ष 1991 में निर्गत किया था. रैलीगढ़ा कोलियरी प्रबंधन ने 25 फरवरी 2025 तक लोकल सेल की गाड़ियों व दंगल का बंटवारा किया है. लदाई स्थल पर मजदूरों की उपस्थिति रही है. मजदूरों के पास इसका प्रमाण भी है. प्रबंधन के इस फैसले से परियोजनाओं में लोकल सेल बाधित है. रैलीगढ़ा के कोयला लिफ्टर विजय शंकर पांडेय ने कहा कि मजदूर लदाई स्थल पर पत्थर की छंटाई करते हैं. अगर वह नहीं जायेंगे, तो कोयला के साथ-साथ पत्थर की लदाई होगी. इससे डीओ धारकों को आर्थिक नुकसान होगा. ऐसी हालात बनी रहेगी, तो लोकल सेल चलना मुश्किल है. प्रबंधन को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. रोड सेल संचालन समिति के राजेंद्र गोप व सुंदरलाल बेदिया ने कहा कि प्रबंधन का यह फैसला लोकल सेल के मजदूरों के हित में नहीं है. गिद्दी सी के पीओ मो शकील अख्तर ने कहा कि गाइडलाइन के तहत प्रबंधन ने यह फैसला लिया है.
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