कुजू : सूखे की मार झेल रहे किसानों को अब सरकार का ही सहारा

राजू कुमार, चैनपुर मानसून के दगा देने के बाद अब किसानों की उम्मीद टूटती नजर आ रही है. किसान बारिश के अभाव में बेहाल हैं. खरीफ फसल धान का बिचड़ा तपती धूप में सूखकर खेत में ही दम तोड रहा है. किसानों की उम्मीद अब टूटती नजर आ रही है. कुछ किसान पानी के अभाव […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 23, 2019 10:35 PM

राजू कुमार, चैनपुर

मानसून के दगा देने के बाद अब किसानों की उम्मीद टूटती नजर आ रही है. किसान बारिश के अभाव में बेहाल हैं. खरीफ फसल धान का बिचड़ा तपती धूप में सूखकर खेत में ही दम तोड रहा है. किसानों की उम्मीद अब टूटती नजर आ रही है. कुछ किसान पानी के अभाव में बिचड़ा तक नहीं कर पाये हैं. जिन किसानों ने बिचड़ा किया है वह पूरी तरह सुख चुका है. साथ ही पूरी पीला पड़ चुका है.

मानसून आने के बावजूद क्षेत्र में बारिश नहीं होने के कारण किसान चिंतित दिखाई दे रहे हैं. अगर समय पर बारिश नहीं हुई तो पूरा क्षेत्र सुखे की चपेट में होगा. बारिश नहीं होने पर क्षेत्र के तालाब, कुएं, चेकडेम, डोभा पूर्ण रूप से भरे तक नहीं हैं.

क्या कहते हैं किसान

इस संबंध में किसान छतरू महतो, महेश महतो, कौलेश्वर महतो, लोकनाथ महतो ने कहा कि हमारा जीवन कृषि पर पूर्णतः निर्भर है. मानसून का कमजोर होना, वर्षा ना होना हमारे लिए बुरे स्वपन जैसा है. वर्षा ना होने से जनजीवन पर बुरा असर पड़ेगा. हम ॠण लेने को मजबूर हो जायेंगे. वर्षा ना होने से जलस्रोत भी सुख रहे हैं. मानसून कमजोर होने से इंसानों के साथ पशुओं का भी बुरा हाल है. सरकार को डीप बोरिंग, बांध निर्माण व जल संचय के उपाय कर जल की कमी को दूर करना होगा. साथ ही फसल बीमा करना होगा. धान के बिचड़े मर रहे हैं. सरकार को उचित मुआवजा देना चाहिए. उन्होंने सरकार से केसीसी योजना देने सहित उचित मुआवजे की मांग की.

क्या कहते हैं मुखिया

इस संबंध में सोनडीहा मुखिया राधेश्वर महतो व बड़गांव मुखिया कन्हैया रविदास ने किसानों की ज्वलंत समस्या पर कहा कि मानसून का कमजोर होना किसान को कमजोर करता है. किसान की जिदंगी मानसून पर निर्भर है. ऐसे में वर्षा नहीं होना किसानों के जीवन को अंधकार की ओर ले जाता है. उन्होंने कहा कि मानसून समय पर नहीं आने से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. बिचड़ा जो भी किसान लगाये है पीला हो रहा है.

उन्होंने सरकार से इस क्षेत्र को सुखाग्रस्त घोषित करने की मांग की है. केसीसी ऋण लेकर खेती कर रहे किसानों पर आथिक बोझ बढ़ता जा रहा है. सरकार को सुखाग्रस्त देखते हुए तेलहन, दलहन बीज सरकारी अनुदान पर उपलब्ध कराना चाहिए ताकि किसान अपना जीविकोपार्जन कर सकें.

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