आनन-फानन में प्रशासन ने शनिचरा हाट-बाजार की करायी मापी

रामगढ़: बाजारटांड़ के एनएच 23 पर लगनेवाले शनिचरा हाट-बाजार की लगभग साढ़े ग्यारह एकड़ जमीन में से पांच एकड़ 75 डिसमिल जमीन प्रशासन द्वारा आनन-फानन में मापी कर आफताब आलम को साैंप दिया. मापी के समय बड़े पैमाने पर पुलिस बल भी प्रतिनियुक्त किया गया था. एसडीओ अनंत कुमार, सीओ अमृता कुमारी, सीआइ अनिल कुमार […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 20, 2017 1:16 PM
रामगढ़: बाजारटांड़ के एनएच 23 पर लगनेवाले शनिचरा हाट-बाजार की लगभग साढ़े ग्यारह एकड़ जमीन में से पांच एकड़ 75 डिसमिल जमीन प्रशासन द्वारा आनन-फानन में मापी कर आफताब आलम को साैंप दिया. मापी के समय बड़े पैमाने पर पुलिस बल भी प्रतिनियुक्त किया गया था. एसडीओ अनंत कुमार, सीओ अमृता कुमारी, सीआइ अनिल कुमार उपस्थित थे. अंचल कार्यालय, रामगढ़ ने बुधवार को ही मापी का नोटिस संबंधित पक्षों को दिया था, लेकिन मापी से पूर्व आम इश्तेहार जारी नहीं किया गया था.

मापी के दाैरान छावनी परिषद का वर्षों पूर्व निर्मित पानी टंकी भी आफताब आलम के हिस्से की जमीन में आ गयी है. इस पानी टंकी से आधे से अधिक रामगढ़ शहर को जलापूर्ति की जाती है. पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रशासन ने आनन-फानन में लगान रसीद आफताब आलम के नाम से जारी कर दिया. इस संबंध में सीओ ने कहा कि इस संबंध में हमें जानकारी नहीं है.

हाट -बाजार का आस्तित्व खतरे में : बाजारटांड़ में शनिचरा हाट-बाजार आजादी के पूर्व से लगते आ रहा है. हाट-बाजार की लगभग साढ़े 11 एकड़ भूमि में से पांच एकड़ 75 डिसमिल भूमि आफताब आलम के हिस्से में आ गयी है. बाकी जमीन पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण है. इस मामले में अपनी जमीन को लेकर प्रशासन ने उचित कार्रवाई कभी नहीं की. प्रशासन की कार्रवाई को लेकर रामगढ़ में चर्चा का बाजार गर्म था.
मापी का किया गया विरोध : शनिचरा हाट -बाजार की मापी का झाविमो नेता पंकज महतो व उनके समर्थकों ने विरोध किया. प्रशासन ने उन्हें हटा दिया. इसके बाद पंकज महतो ने उपायुक्त को आवेदन दिया. इसमें उन्होंने लिखा है कि शनिचरा- हाट बाजार आजादी के पूर्व से लग रहा है. हाट -बाजार में पूरे जिला के ग्रामीण कृषि उत्पाद को बेचने आते हैं. सार्वजनिक जमीन पर भू-माफियाओं द्वारा कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है. अत: मापी की कार्रवाई रोक कर हाट-बाजार को यथावत रहने दिया जाये. आवेदन की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, भू-राजस्व मंत्री झारखंड, कृषि मंत्री झारखंड व मुख्य सचिव झारखंड को भी प्रेषित की गयी है.

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