पलामू टाइगर रिजर्व : जंगल को बचाने के लिए 80 गांवों में बनी थी इको विकास समिति

संतोष 20 साल से खाते में पड़े हैं श्रमदान के सवा दो करोड़ बेतला : विभागीय अड़चनों के कारण पलामू टाइगर रिजर्व के 80 गांवों के ग्रामीणों के श्रमदान/अंशदान के सवा दो करोड़ रुपये 20 वर्षों से इको विकास समिति के खाते में पड़े हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के जंगल और जंगल से सटे गांवों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 19, 2020 8:00 AM
संतोष
20 साल से खाते में पड़े हैं श्रमदान के सवा दो करोड़
बेतला : विभागीय अड़चनों के कारण पलामू टाइगर रिजर्व के 80 गांवों के ग्रामीणों के श्रमदान/अंशदान के सवा दो करोड़ रुपये 20 वर्षों से इको विकास समिति के खाते में पड़े हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के जंगल और जंगल से सटे गांवों के विकास के लिए विश्व बैंक द्वारा 1997 से लेकर 2004 तक करोड़ों रुपये उपलब्ध कराये गये थे. विश्व बैंक ने यह शर्त रखी थी कि दी गयी राशि का 25 प्रतिशत अंशदान ग्रामीणों का भी होना चाहिए.
इसे देखते हुए विकास कार्यों के क्रियान्वयन के समय श्रमदान करके ग्रामीणों ने पैसे इकट्ठा करके इको विकास समिति के खाते में जमा कर दिये. जमा राशि को खर्च करने का प्रावधान यह था कि उक्त राशि से निर्माण कराये गये बांध, आहार, तालाब, चेक डैम, कुओं आदि की भविष्य में मरम्मत की जा सकेगी. 2004 के बाद विश्व बैंक द्वारा राशि आवंटन रोक दी गयी. धीरे-धीरे कई इको विकास समिति भी निष्क्रिय हो गयी. इधर, खाते में राशि धरी की धरी रह गयी. समिति के खाते का संचालन गांव के ही एक अध्यक्ष व वन विभाग के वनपाल के संयुक्त हस्ताक्षर सेहोता था. वर्ल्ड बैंक द्वारा राशि का आवंटन क्षेत्र निदेशक के खाते में किया जाता था. इसके बाद रेंजर के खाते से होते हुए इको विकास समिति के खाते तक पहुंचता था.
क्या है इको विकास समिति
पलामू टाइगर रिजर्व के कोर व बफर एरिया के अंतर्गत 205 गांव हैं. गांव के लोग जलावन लकड़ी से लेकर बीड़ी पत्तों की तुड़ाई सहित अन्य कार्यों के लिए जंगल पर ही निर्भर हैं. करीब डेढ़ लाख मवेशी रोजाना जंगल में चरते हैं.
लोगों की जंगल पर निर्भरता कम करने और जंगल को बचाने के उद्देश्य से इको विकास समिति गठित की गयी थी. पूरे पलामू टाइगर रिजर्व में 80 गांवों में इको विकास समिति गठित की गयी थी. पीटीआर के बफर एरिया में करीब करोढू और बफर एरिया में बने इको विकास समिति खाते में करीब सवा करोड़ रुपये जमा किये गये हैं.
जंगल बचाने में इको विकास समिति की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. अंशदान की जो राशि खाते में पड़ी रही है, उसके कारणों की पड़ताल की जा रही है. इसका निदान निकाला जायेगा.
वाइके दास, क्षेत्र निदेशक,
पलामू टाइगर रिजर्व

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