जिले के सभी अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों की होगी व्यापक जांच

पीसीपीएनडीटी अंतर्गत डीआईएमसी समिति की बैठक में उपायुक्त ने जिले में संचालित 9 पंजीकृत अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों की विस्तृत एवं समग्र जांच कराने के निर्देश दिए.

By BINAY KUMAR | November 30, 2025 8:50 PM

पाकुड़. गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 के प्रभावी अनुपालन एवं जिला निरीक्षण समिति की कार्यप्रगति की समीक्षा को लेकर समाहरणालय सभागार में रविवार को बैठक आयोजित की गयी. अध्यक्षता उपायुक्त मनीष कुमार ने की. उपायुक्त ने जिले में संचालित 9 पंजीकृत अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों की विस्तृत एवं समग्र जांच कराने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि जांच टीम द्वारा प्रत्येक केंद्र की जांच अधिनियम में निर्धारित प्रोटोकॉल, मानकों एवं चेकलिस्ट के अनुरूप की जाए तथा जांच प्रतिवेदन शीघ्र जिला प्रशासन को उपलब्ध कराया जाए. उपायुक्त ने कहा कि गर्भ में भ्रूण के लिंग निर्धारण की अवैध गतिविधि पर पूर्ण प्रतिबंध है. ऐसे मामलों में जिला प्रशासन शून्य-सहनशीलता की नीति अपनाते हुए सख्त कार्रवाई करेगा. उन्होंने सिविल सर्जन को निर्देशित किया कि सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों की नियमित मॉनिटरिंग, दस्तावेजों की जांच एवं औचक निरीक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. बैठक में डीआईएमसी समिति की वर्तमान गतिविधियों, निरीक्षण प्रगति एवं लंबित कार्यों की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि समिति द्वारा सभी अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों का समयबद्ध निरीक्षण अनिवार्य है. साथ ही, सभी जांच प्रतिवेदन निर्धारित समय के भीतर प्रस्तुत किए जाएं. उपायुक्त ने कहा बालिका भ्रूण हत्या केवल कानूनी अपराध नहीं, बल्कि समाज और मानवता के विरुद्ध गंभीर कृत्य है. इसे रोकने के लिए प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समाज- सभी की संयुक्त जिम्मेदारी है.

क्या है पीसीपीएनडीटी अधिनियम :

गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 एक भारतीय कानून है. यह गर्भधारण से पहले या बाद में लिंग चयन पर प्रतिबंध लगाता है और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए अल्ट्रासाउंड जैसी प्रसव पूर्व निदान तकनीकों के उपयोग को नियंत्रित करता है. प्रमुख प्रावधानों में भ्रूण के लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध, लिंग निर्धारण के विज्ञापनों पर रोक तथा उल्लंघन के लिए दंड के प्रावधान शामिल हैं. यह अधिनियम भारत में घटते लिंगानुपात को दूर करने और महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए पारित किया गया था.

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