Explainer: पलामू टाइगर रिजर्व में एक दर्जन से अधिक दुर्लभ पक्षी नाइट जार की हुई मौत, इसे जानें

पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में दर्जनों दुर्लभ नाइट जार पक्षियों की मौत हो गयी. इन पक्षियों की मौत से PTR पदाधिकारी सकते में है. पीटीआर प्रबंधन पक्षियों की मौत के कारणों की जांच पड़ताल में जुट गया है. वहीं, वन्य प्राणी विशेषज्ञ इन पक्षियों के मरने के दो कारण मान रहे हैं.

By Samir Ranjan | September 9, 2022 4:59 PM

Prabhat Khabar Explainer: पलामू टाइगर रिजर्व (Palamu Tiger Reserve- PTR) क्षेत्र अंतर्गत बरवाडीह प्रखंड के लेदगाई गांव के समीप अज्ञात बीमारी से एक दर्जन से अधिक नाइट जार पक्षियों की मौत हो गयी है. पीटीआर प्रबंधन पक्षियों की मौत के कारणों की जांच पड़ताल में जुट गया है. पक्षियों की इतनी बड़ी संख्या में मौत होने से पीटीआर के पदाधिकारी सकते में आ गये हैं. वन कर्मियों को अलर्ट करने के साथ-साथ प्रबंधन द्वारा मौत के कारणों की जांच का आदेश दे दिया गया है. इस बात पर विशेष फोकस किया जा रहा है कि कहीं कोई संक्रमण के कारण पक्षियों की मौत तो नहीं हुई है.

नाइट जार पक्षियों के रूप में हुई पहचान

शुक्रवार की सुबह बरवाडीह पूर्वी के जिप सदस्य कन्हाई सिंह मॉर्निंग वॉक के दौरान सड़क के किनारे अपने खेत के आसपास जगह-जगह पर इन पक्षियों के शव को देखा. इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया में शेयर किया. सोशल मीडिया के माध्यम से प्रभात खबर ने इसकी सुधी ली. इसके बाद वन्य प्राणी विशेषज्ञों ने मृत पक्षियों की पहचान नाइट जार के रूप में की. टाइगर रिजर्व के अलग-अलग जंगलों में उनकी संख्या बहुतायत में पायी जाती है, जिन्हें अक्सर रात में विचरण करते देखा जाता है.

साल में दो अंडे देते हैं नाइट जार पक्षी

नाइट जार जिसे स्थानीय भाषा में चपका कहते हैं. इसकी विशेषता यह है कि यह देर शाम अंधेरा होने के बाद पूरी रात सक्रिय रहते हैं. सुबह होते यह फिर से अपने ठिकाने पर चले जाते हैं. रात में दिखने वाले इस पक्षी को शोर-गुल पसंद नहीं है. यही वजह है कि जंगल में मनुष्य का दखल बढ़ने से यह अब विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गये हैं. यह पक्षी ग्रे, भूरा और कुछ काले रंग के होते हैं. इसके पंखों के नीचे हल्की सफेद धारी होती है. अधिकतर यह ऊंचाई वाले चट्टानों, टीलों, पत्थरों और झाड़ी में अपना ठिकाना बनाता है. यह पक्षी साल में केवल दो अंडे देते हैं, जो हल्के सफेद और हल्के काले धब्बे युक्त होते हैं. अंडों और बच्चों को कड़ी धूप, बारिश व आंधी से बचाने के लिए यह उनके ऊपर बैठा रहता है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि रहने के लिए अपना घोंसला नहीं बनाता है.

Also Read: Prabhat Khabar Explainer: पलामू टाइगर रिजर्व में मिली तितली जैसी दिखने वाली Atlas Moth, इसे जानें

नाइट जार पक्षियों की मौत के वन्य प्राणी विशेषज्ञ ने बताए कारण

वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉ डीएस श्रीवास्तव ने कहा कि बड़ी संख्या में पक्षियों के मरने के दो कारण हो सकते हैं. पहला बर्ड फ्लू जैसे वायरस जो काफी खतरनाक साबित होंगे क्योंकि इससे अन्य पक्षियों और घरेलू पशु पक्षियों पर इसका असर पड़ेगा. वहीं, दूसरा कारण फसलों में दी जाने वाली कीटनाशक दवाएं हैं. क्योंकि अधिकांश नाइट जार पक्षियां रात में कीड़े-मकोड़े खाते हैं, उसे खाने से ही इन पक्षियों की मौत हुई होगी. उन्होंने कहा कि कारण कुछ भी हो. विभाग को पूरी गंभीरता से इसकी पड़ताल करनी चाहिए.

पूरे एरिया में चलाया जा रहा सर्च अभियान

पलामू टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष ने कहा कि पक्षियों की मौत की जानकारी मिलने के बाद पूरे एरिया में सर्च अभियान चलाया गया. लेकिन, उक्त मृत पक्षी के शव को बरामद नहीं किया जा सका. हालांकि, अभी खोजबीन जारी है. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों की पूछताछ से इस तरह की घटना से इनकार किया जा रहा है. हालांकि, सभी बिंदुओं पर पड़ताल की जा रही है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कर्मियों को सतर्क कर दिया गया है.

रिपोर्ट : चंद्रप्रकाश/संतोष, लातेहार.

Next Article

Exit mobile version