दो बच्चियों की TMH में हुई नि:शुल्क कोकलियर इंप्लांट सर्जरी, एपिड योजना के जरिये हुआ इलाज

रविवार को शहर की दो बच्चियों का टीएमएच में नि:शुल्क कोकलियर इंप्लांट सर्जरी की गयी. सर्जरी करने वालों में भोपाल से आये डॉ एसपी दूबे, डॉक्टर अजय गुप्ता, डॉक्टर केपी दूबे, डॉक्टर यूके सिंह, डॉक्टर बिनायक बरूवा, डॉक्टर आलोक कुमार, डॉक्टर संजय मिश्रा उपस्थित थे.

By Prabhat Khabar | May 15, 2023 9:22 AM

जमशेदपुर. रविवार को शहर की दो बच्चियों का टीएमएच में नि:शुल्क कोकलियर इंप्लांट सर्जरी की गयी. सर्जरी करने वालों में भोपाल से आये डॉ एसपी दूबे, डॉक्टर अजय गुप्ता, डॉक्टर केपी दूबे, डॉक्टर यूके सिंह, डॉक्टर बिनायक बरूवा, डॉक्टर आलोक कुमार, डॉक्टर संजय मिश्रा उपस्थित थे. अब दोनों बच्चियां बोल व सुन पायेंगी. एक बच्ची सोनारी के रिया पोद्दार की बेटी झील पोद्दार है, जबकि दूसरी बच्ची मानगो इस्लाम नगर निवासी समा परवीन की चार वर्षीय बेटी रीवा है.

बोल नहीं पाती थी झील पोद्दार

सोनारी में एक ठेला लगाकर इडली-डोसा बेचने वाली रिया पोद्दार की बेटी झील पोद्दार बोल नहीं पाती थी. शहर के ऑडियोलॉजिस्ट डॉ संजय मिश्रा ने परिवार वालों को केंद्र सरकार की एपिड योजना के बारे में जानकारी दी. बताया कि मुंबई के अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण दिव्यांगजन संस्थान की वेबसाइट पर पंजीयन कराया जा सकता है. इस योजना के तहत वैसे बच्चों का इलाज किया जाता है, जो आर्थिक रूप से कमजोर व बोलने-सुनने में असमर्थ हैं. इस तरह के बच्चे का कोकलियर इंप्लांट सर्जरी किया जाता है. झारखंड में यह सुविधा टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में उपलब्ध है, जहां आम लोगों के लिए कोकलियर इंप्लांट सर्जरी होती है. एक सर्जरी पर लगभग सात लाख रुपये खर्च आता है. इसी तरह मानगो इस्लाम नगर निवासी समा परवीन की चार वर्षीय बेटी रीवा परवीन भी जन्म से ही नहीं बोल व सुन पाती थी. डेढ़ साल की उम्र में उसकी बीमारी पहचान में आयी. रविवार को केंद्र सरकार की ओर से एपिड योजना के तहत दोनों बच्चियों का ऑपरेशन हुआ.

Also Read: West Bengal : एंबुलेंस का किराया न होने पर बैग में भरकर लाया शव, मची हलचल

इसलिए होता है यह ऑपरेशन

यह वह पद्धति है, जिससे बच्चे की संपूर्ण सुनने की शक्ति कृत्रिम तरीके से बच्चे के मस्तिष्क तक पहुंचाई जाती है. कोकलियर इंप्लांट सर्जरी एक छोटे से ऑपरेशन द्वारा बच्चे के कान में प्रत्यारोपित किया जाता है. उसके बाद विशेषज्ञ द्वारा उसको संचालित करके सुनने की स्थिति में ढाला जाता है. यह प्रक्रिया ऑपरेशन के दौरान ही शुरू की जाती है. इसके बाद समय-समय पर दो या ढाई साल तक सुनने की मैपिंग करने से बच्चे की सुनने की क्षमता ठीक हो जाती है. उल्लेख्यनीय है कि कोकलियर इंप्लांट सर्जरी के बाद बच्चों में 100 प्रतिशत तक सुनने व 90 प्रतिशत तब बोलने की क्षमता आ जाती है. एक हजार में तीन ऐसे बच्चों का जन्म होता है, जो न तो बोल पाते हैं और न ही सुन पाते हैं.

Next Article

Exit mobile version