झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मिले पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी, बोले- नियोजन नीति रद्द करने के निर्णय पर दें पुनर्विचार का निर्देश

Jharkhand News, Jamshedpur News, जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम) : पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से आग्रह करते हुए कहा कि झारखंड की वर्तमान सरकार को पिछली सरकार की नियोजन नीति पर पुनर्विचार करने संबंधित आदेश जारी किये जाना चाहिए. नयी नीति के अभाव में पुरानी नियोजन नीति को रद्द कर देना राजनीतिक पूर्वाग्रह युक्त निर्णय है, जिससे हजारों योग्य एवं चयनित अभ्यर्थियों का हित प्रभावित हो रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 11, 2021 9:36 PM

Jharkhand News, Jamshedpur News, जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम) : बहरागाेड़ा के पूर्व विधायक सह प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने गुरुवार को झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से शिष्टाचार भेंट की. इस दौरान उन्होंने हेमंत सरकार द्वारा रघुवर सरकार की नियोजन नीति को रद्द करने के अविवेकपूर्ण निर्णय के विरुद्ध असंतोष जाहिर करते हुए राज्यपाल से हस्तक्षेप का आग्रह किया. इस बाबत कुणाल षाड़ंगी ने कई बिंदुओं को राज्यपाल के संज्ञान में लाते हुए युवाओं और राज्य हित में त्वरित हस्तक्षेप का आग्रह किया.

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से आग्रह करते हुए कहा कि झारखंड की वर्तमान सरकार को पिछली सरकार की नियोजन नीति पर पुनर्विचार करने संबंधित आदेश जारी किये जाना चाहिए. नयी नीति के अभाव में पुरानी नियोजन नीति को रद्द कर देना राजनीतिक पूर्वाग्रह युक्त निर्णय है, जिससे हजारों योग्य एवं चयनित अभ्यर्थियों का हित प्रभावित हो रहा है.

बातचीत के क्रम में पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने राज्यपाल के संज्ञान में लाया कि जब पूर्व के विज्ञापन और नियोजन नीति के आधार पर सैकड़ों लोग नौकरी कर रहे हैं, तो उसी विज्ञापन से हुई उसी परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के खिलाफ यह शासकीय अन्याय क्यों हाे रहा है. अगर नियोजन नीति गलत थी, तो राज्य सरकार ने हाइकोर्ट में उसके पक्ष में बात क्यों रखी. फिर हाइकोर्ट में हारने के बाद सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज क्यों किया.

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कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि सरकार बनने के बाद से महीनों तक कोर्ट से बिना स्टे ऑर्डर लिए 9 महीनों तक बहाली रोकी गयी है. साल भर के बाद पूरी सूची खत्म कर दी गयी. यह सरासर विभेदपूर्ण और अमानवीय निर्णय है. 11-13 जिलाें के इतिहास, संस्कृत तथा संगीत के शिक्षक,पीआरटी शिक्षक, पंचायत सचिव अभ्यर्थी, रेडियो ऑपरेटर, स्पेशल ब्रांच और उत्पाद सिपाही के हजारों अभ्यर्थी जिनका डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होकर बस ज्वाइनिंग बाकी थी, उनके साथ यह अन्याय हुआ है. उसी परीक्षा को पास कर कई लोग नौकरी कर रहे हैं.

कैबिनेट सचिव छठी जेपीएससी का कट ऑफ डेट 1 अगस्त, 2016 बता कर गुमराह कर रहे हैं, जबकि वास्तविक रूप से वह 1 अगस्त, 2010 था. सातवीं जेपीएससी का कटऑफ उस हिसाब से अगस्त 2011 होना चाहिए. उसे 2016 रखा गया हैं. पिछले बार सातवीं जेपीएससी का जो विज्ञापन निकला था, उसमें भी कट ऑफ का वर्ष 2011 निर्धारित था.

Posted By : Samir Ranjan.

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