अस्थायी कर्मियों पर इस माह आ सकता है फैसला

जमशेदपुर: टाटा स्टील के अस्थायी मजदूरों के केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में इस माह में फैसला आ सकता है. अस्थायी मजदूर संघ, टिस्को की ओर से एक याचिका पहले निचली अदालत में दायर की गयी थी. इस केस में अस्थायी मजदूरों के पक्ष में फैसला आ गया, लेकिन इस मामले में टाटा वर्कर्स यूनियन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 19, 2014 7:38 AM

जमशेदपुर: टाटा स्टील के अस्थायी मजदूरों के केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में इस माह में फैसला आ सकता है. अस्थायी मजदूर संघ, टिस्को की ओर से एक याचिका पहले निचली अदालत में दायर की गयी थी.

इस केस में अस्थायी मजदूरों के पक्ष में फैसला आ गया, लेकिन इस मामले में टाटा वर्कर्स यूनियन के महामंत्री बीके डिंडा ने ही मजदूरों के खिलाफ एक याचिका दायर कर दी. सुप्रीम कोर्ट में यह मामला पेंडिंग है, जिसका केस नंबर एसएलपी 36221 है. बताया जाता है कि अगस्त माह में यह केस लिस्टिंग हो चुकी है, जिसका नंबर 37 है. इसमें अगर अस्थायी कर्मचारियों के पक्ष में फैसला आ जाता है तो टी ग्रेड के कर्मचारियों का भविष्य संवर सकता है. वे लोग सीधे तौर पर स्टील वेज में ही बहाल हो जायेंगे, जो टी ग्रेड से होते हुए स्टील वेज के आठ साल के नुकसान से बच जायेंगे. यहीं नहीं, कई कर्मचारियों ने उस वक्त सेटलमेंट ले लिया था, उनको भी सीधे तौर पर नौकरी मिल सकती है. अस्थायी मजदूर संघ की नजरें टिकी हुई है, वहीं टाटा स्टील मैनेजमेंट भी पूरे मामले पर निगाहें रखी हुई है.

पक्ष में फैसला आया तो यूनियन की मान्यता रद्द करायेंगे : संघ
संघ के नेता इम्तियाज अहमद ने बताया कि अगर पक्ष में फैसला आ जाता है तो टाटा वर्कर्स यूनियन की मान्यता को ही रद्द कराया जायेगा. इसके लिए लड़ाई लड़ी जायेगी क्योंकि यूनियन के नेता ही मजदूरों के विरोध में शिकायतकर्ता बन गये है, इससे दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है.

क्या है पूरा मामला
टाटा स्टील में कुल 1879 अस्थायी कर्मचारी थे, जिसके स्थायीकरण की मांग को लेकर लंबा आंदोलन चल रहा था. वर्ष 2002-2005 के आरबीबी सिंह के कार्यकाल के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था, जिसमें तय हुआ था कि अलग-अलग फेज में अस्थायी कर्मचारियों का स्थायीकरण तो किया जायेगा, लेकिन उनके लिए अलग ग्रेड बनाया गया, जिसको टी ग्रेड कहा जाता है. तीन साल की ट्रेनिंग के बाद टी ग्रेड में कर्मचारियों की बहाली की गयी. टी ग्रेड में कर्मचारियों को आठ साल काम करना था, जिसके बाद उनको स्वत: स्टील वेज में इंट्री दे दी गयी थी. इसके बाद कई लोगों को नौकरी मिल गयी थी और कई लोगों को सेटलमेंट दे दिया गया था. लेकिन कई लोग नाखुश थे और हर हाल में स्टील वेज से ही बहाली की मांग कर रहे थे लेकिन टी ग्रेड में ही बहाली हुई, जिसके बाद निचली अदालत में पहले केस किया. वहां अस्थायी मजदूरों के पक्ष में फैसला आया. टाटा वर्कर्स यूनियन के महामंत्री बीके डिंडा खुद सुप्रीम कोर्ट चले गये. इसको लेकर अभी सुनवाई चल रही है.

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