छात्रा का आरोप – चतुर्थ सेमेस्टर का प्रश्न पत्र सेट कराया और अपना आर्टिकल लिखवाया

जमशेदपुर : कोल्हान विश्वविद्यालय की अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ कंचनमाला पर एक शोध छात्रा ने उत्पीड़न का आरोप लगाया है. वर्ष 2016 बैच की शोध छात्रा ने कुलपति को पत्र लिखकर मामले की जांच का अनुरोध किया है. छात्रा का आरोप है कि विभागाध्यक्ष ने जबरन प्रश्न पत्र सेट कराये. अपना आर्टिकल छात्रा से लिखवाया. कोर्स […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 16, 2019 8:06 AM

जमशेदपुर : कोल्हान विश्वविद्यालय की अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ कंचनमाला पर एक शोध छात्रा ने उत्पीड़न का आरोप लगाया है. वर्ष 2016 बैच की शोध छात्रा ने कुलपति को पत्र लिखकर मामले की जांच का अनुरोध किया है. छात्रा का आरोप है कि विभागाध्यक्ष ने जबरन प्रश्न पत्र सेट कराये. अपना आर्टिकल छात्रा से लिखवाया.

कोर्स वर्क पूरा होने पर जबरन गिफ्ट की वसूली की. सूत्रों के मुताबिक विवि प्रशासन ने विभागाध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. वहीं शिक्षिका ने आरोपों पर अपना जवाब विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप दिया है. विभागाध्यक्ष कंचनमाला ने कहा कि शिकायत करने वाली छात्रा जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी से एमएड की पढ़ाई कर रही है.
लिहाजा नियम के आरोप में उनका पीजीआरसी रोका. काम नहीं होने पर छात्रा गलत आरोप लगा रही है. विवि प्रशासन की ओर से इस मामले में आधिकारिक तौर पर टिप्पणी नहीं की जा रही. वहीं केयू के प्रवक्ता डॉ. एके झा ने कहा िक फिलहाल इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं कर सकता.
कोर्स वर्क पूरा होने पर छात्र-छात्राओं से जबरन गिफ्ट लेने का आरोप
मेरे खिलाफ लगाये गये यह अारोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं. छात्रा अन्यत्र पढ़ाई कर रही है. शोध प्रक्रिया में नियमों का हवाला देकर पीजीआरसी रोकी गयी. इससे नाराज होकर छात्रा की ओर से अनर्गल आरोप लगाये गये. बतौर प्राचार्य मेरी कार्यशैली से एलबीएसएम कॉलेज से ही अवगत रहे हैं.
डॉ. कंचनमाला, विभागाध्यक्ष, अंग्रेजी, केयू
शोध छात्रा ने पत्र में लिखा है कि डॉ कंचनमाला पीएचडी कोर्सवर्क की शुरुआत के साथ ही अलग-अलग तरीकों से शोषण करती रही. कई तरह के विभागीय कामकाज जबरन कराये जाते रहे. डीआरसी की किसी भी बैठक में नाश्ते वगैरह का खर्च शोध छात्रा को ही उठाना पड़ता था. शिक्षिका ने चौथे सेमेस्टर के प्रश्न पत्र की सेटिंग जबरन करवाई. पीड़िता सहित और भी शोधार्थियों को डॉ कंचनमाला ने बैग उपहार में देने के लिए बाध्य किया.
शोधार्थियों ने चंदा करके उनकी इच्छा पूरी की. डॉ कंचनमाला अक्सर फोन करके भ्रमित करने वाली बातें करती. विवि के वरीय पदाधिकारी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करतीं. बातचीत के सबूत के तौर पर आॅडियो क्लिप होने का दावा किया. शोध छात्रा ने आवेदन पत्र के साथ कुलपति ऑडियो क्लिप भी दिया है.
निजी लाभ के लिए शोध छात्रा को पत्रिकाओं में उनके नाम से आर्टिकल लिखने और छपवाने के लिए विभागाध्यक्ष बाध्य करती थीं. पीड़िता ने आशंका जताई है कि विभागाध्यक्ष की इस कार्य प्रणाली के चलते भविष्य में उसके सहित दूसरे शोधार्थियों को और ज्यादा परेशान किया जा सकता है. लिहाजा मामले की जांच होने तक शोधार्थियों के भविष्य को देखते हुए डॉ कंचनमाला को विभागाध्यक्ष के पद से हटाने का अनुरोध किया.

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