झारखंड की मांग को डीएइ ने नकारा

दिल्ली/जमशेदपुर : परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएइ) ने खनन मंत्रालय को यह स्पष्ट किया है कि परमाणु खनिज पर राजस्व दर और डेड रेंट (बंधा लगान) को बढ़ाने की झारखंड सरकार की मांग को नहीं माना जा सकता है. डीएइ ने कहा है कि परमाणु खनिज नीतिगत खनिज के अंतर्गत आता है और इसकी भारत में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 20, 2018 3:56 AM
दिल्ली/जमशेदपुर : परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएइ) ने खनन मंत्रालय को यह स्पष्ट किया है कि परमाणु खनिज पर राजस्व दर और डेड रेंट (बंधा लगान) को बढ़ाने की झारखंड सरकार की मांग को नहीं माना जा सकता है.
डीएइ ने कहा है कि परमाणु खनिज नीतिगत खनिज के अंतर्गत आता है और इसकी भारत में बेहद कमी है. साथ ही हमारे ऊपर अपने लाभ के हिस्से को डीएमएफ (डिस्ट्रिक्ट मिनरल्स फाउंडेशन) और एनएमइटी (नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट) से बांटने का भी भार है.
गौरतलब है कि झारखंड और तमिलनाडु (जहां वर्तमान में यूरेनियम का उत्खनन और प्रसंस्करण चल रहे हैं) ने खनन मंत्रालय से राजस्व दर और डेड रेंट में बढ़ोतरी करने को कहा है. मिली जानकारी के अनुसार, डेड रेंट की नयी तय की गयी राशि चुकाये जाने में हो रही देरी के कारण झारखंड सरकार ने नरवा इकाई के लीज नवीकरण को रोके रखा है.
दोनों राज्यों और डीएइ ने अपनी-अपनी स्थिति हाल में हुई दो स्टडी ग्रुप की बैठकों में भी स्पष्ट की है. खनन मंत्रालय की ओर से विभिन्न खनिजों पर राजस्व दर और डेड रेंट निर्धारण के लिए इस वर्ष फरवरी माह में इस स्टडी ग्रुप का गठन किया गया था. परमाणु खनिज के मुद्दे को सहजता से हल करने के लिए मंत्रालय ने एक सब ग्रुप का गठन किया है. देश में खनिज पर राजस्व दर और डेड रेंट को 1 सितंबर 2014 में संशोधित किया गया. इसके तहत मोनाजाइट के प्रति टन खनन पर 125 रुपये की दर निर्धारित की गयी. साथ ही यूरेनियम राजस्व दर का निर्धारण यूसिल को प्रति वर्ष मिलने वाले कंपन्सेसन राशि का दो फीसदी रखा गया.
क्या है डेड रेंट
डेड रेंट (बंधा लगान) वह निर्धारित रकम है जो खनन कार्य करने वाली कंपनी को संबंधित राज्य सरकार को चुकानी होती है. यह रकम खनन की गयी खनिज की मात्रा पर निर्भर करता है. खान एवं खनिज (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) संशोधन अधिनियम 2015 के तहत खनन होने वाले जिले में डीएमएफ (डिस्ट्रिक्ट मिनरल्स फाउंडेशन) का गठन किया गया है. जिसका उद्देश्य खनन कार्य से वहां के स्थानीय लोगों को फायदा पहुंचाना होता है. साथ ही 2015 के खनन नियमों के तहत एनएमइटी (नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट) का भी गठन किया गया, जो खनन की नयी संभावनाएं तलाशता है. खनन का पट्टा रखने वाली कंपनी को डीएमएफ और एनएमइटी को भी कुछ राशि देनी होती है, जिसकी प्राथमिकता राजस्व दर और डेड रेंट से ऊपर रखी गयी है.

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