राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी मोनिका को क्यों सता रही करियर की चिंता, पढ़िए ये रिपोर्ट

हजारीबाग (जमालउद्दीन) : राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी मोनिका कुमारी मेडल जीतने के बाद भी करियर को लेकर परेशान है. इसने झारखंड सीनियर कबड्डी टीम से दो बार नेशनल खेल में बेहतर प्रदर्शन कर मेडल जीता. हजारीबाग जिला प्रशासन, खेल विभाग और झारखंड सरकार की ओर से नेशनल खेलकर लौटने पर कभी सम्मानित नहीं किया गया. छात्रवृति और नौकरी की कभी पेशकश की नहीं की गयी. हजारीबाग में सख्त जमीन और बिना मैट के अभ्यास कर राष्ट्रीय स्तर पर कई बार पहुंच गयी, लेकिन सुविधा के अभाव में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का सपना पूरा नहीं हुआ. कबड्डी के मैदान में संघर्ष कर उपलब्धि हासिल करने के बाद भी इन खिलाड़ियों की कोई सुध नहीं ले रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 4, 2020 11:43 AM

हजारीबाग (जमालउद्दीन) : राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी मोनिका कुमारी मेडल जीतने के बाद भी करियर को लेकर परेशान है. इसने झारखंड सीनियर कबड्डी टीम से दो बार नेशनल खेल में बेहतर प्रदर्शन कर मेडल जीता. हजारीबाग जिला प्रशासन, खेल विभाग और झारखंड सरकार की ओर से नेशनल खेलकर लौटने पर कभी सम्मानित नहीं किया गया. छात्रवृति और नौकरी की कभी पेशकश की नहीं की गयी. हजारीबाग में सख्त जमीन और बिना मैट के अभ्यास कर राष्ट्रीय स्तर पर कई बार पहुंच गयी, लेकिन सुविधा के अभाव में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का सपना पूरा नहीं हुआ. कबड्डी के मैदान में संघर्ष कर उपलब्धि हासिल करने के बाद भी इन खिलाड़ियों की कोई सुध नहीं ले रहा है.

मोनिका कुमारी हजारीबाग शहर के हुरहुरू पासवान मुहल्ला की रहनेवाली है. पिता यमुना पासवान, माता ललीता देवी, तीन बहन और दो भाई परिवार में है. मैट्रिक की पढ़ाई संत किरण स्कूल हजारीबाग, इंटर व स्नातक संत कोलंबा कॉलेज से पढाई के बाद डिप्लोमा इन योगा विनोबा भावे विश्वविद्यालय से कर रही है. सातवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान खेलना शुरू किया. कोच मनन विश्वकर्मा से प्रशिक्षण लिया. सीनियर नेशनल कबड्डी प्रतियोगिता 2017 और 2019 में झारखंड टीम से खेलकर मेडल प्राप्त किया. विनोबा भावे विश्वविद्यालय टीम से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उडीसा में खेला. झारखंड स्टेट प्रतियोगिता पांच बार भाग लेकर मेडल प्राप्त किया.

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राष्ट्रीय कबड्डी महिला खिलाड़ी मोनिका कुमारी ने कहा कि 12 साल की उम्र से कबड्डी खेलकर कैरियर बनाने का सपना देखा था. मध्यम परिवार से रहने के बावजूद परिवार के लोगों ने कबड्डी खेलने के लिए हमेशा प्रेरित किया. आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने के बावजूद मेहनत और लगन के साथ कबड्डी में खेलते रही. लेकिन अभी तक किसी संस्थान, संस्था और सरकार की ओर से कोई छात्रवृति और नौकरी नहीं देने से निराश हूं. मोनिका ने बताया कि हजारीबाग प्रमंडलीय शहर है. लेकिन कबड्डी का एक भी मैदान नहीं है. उबड़ खाबड़ सख्त जमीन पर हम लड़कियां कबड्डी खेलती हैं.

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हजारीबाग डीसी, खेल पदाधिकारी और राजनेताओं से कई बार हम खिलाड़ियों ने कबड्डी खेल मैदान बनाने का आग्रह किया, लेकिन नहीं बनाया गया. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संसाधन के अभाव में हमलोग पिछड़े हैं. मोनिका का दर्द यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर मैट पर मैच खेलना होता है, लेकिन हमलोग सख्त जमीन पर खेलकर जाते हैं. वहां परेशानी और मैच फंस जाता है. मोनिका ने कहा कि हम 12 से अधिक लड़कियां नियमित रूप से कबड्डी का अभ्यास हजारीबाग में करती हैं, लेकिन पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं होता है. सभी लड़कियां गरीब परिवार की हैं. कोई मदद करनेवाला नहीं है. इसमें से अधिकांश लड़कियां राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता में खेल रही हैं.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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