खेतों में गूंजे लोकगीत : पचाठी पूजा के साथ हजारीबाग के बड़कागांव में धनरोपनी शुरू, महिला किसानों ने की धरती माता, लक्ष्मी माता एवं गवाट की पूजा

dhanropni starts in hazaribagh district of jharkhand with pachathi puja folk songs echoed in paddy fileds : बड़कागांव (संजय सागर) : झारखंड में हजारीबाग जिला के बड़कागांव प्रखंड में पचाठी पूजा के साथ धनरोपनी शुरू हो गयी. पचाठी पूजा यहां की सदियों पुरानी परंपरा है. धान रोपने से पहले यहां के किसान धरती माता, लक्ष्मी माता एवं गवाट की पूजा करते हैं. कृषक पंकज कुमार महतो ने बताया कि लक्ष्मी माता की पूजा को पचाठी पूजा कहते हैं. धनरोपनी से पहले यह पूजा करने से धान की उपज अधिक होती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2020 6:52 PM

बड़कागांव (संजय सागर) : झारखंड में हजारीबाग जिला के बड़कागांव प्रखंड में पचाठी पूजा के साथ धनरोपनी शुरू हो गयी. पचाठी पूजा यहां की सदियों पुरानी परंपरा है. धान रोपने से पहले यहां के किसान धरती माता, लक्ष्मी माता एवं गवाट की पूजा करते हैं. कृषक पंकज कुमार महतो ने बताया कि लक्ष्मी माता की पूजा को पचाठी पूजा कहते हैं. धनरोपनी से पहले यह पूजा करने से धान की उपज अधिक होती है.

पचाठी पूजा के बारे में 80 वर्षीय धर्मचंद महतो का कहना है कि यह प्रथा दादा-परदादा के समय से चली आ रही है. वहीं, सोमरी मसोमात का कहना है कि धरती माता और लक्ष्मी की पूजा नहीं करें, तो इलाके में धान की उपज नहीं होती. इसलिए धान की रोशनी शुरू करने से पहले इस पूजा की परंपरा है. यह पूजा जरूरी है. धरती और लक्ष्मी के अलावा गवाट यानी ग्राम देवता की भी पूजा की जाती है. इससे सांप के उपद्रव से मुक्ति मिलती है.

खेतों में गूंजे लोकगीत : पचाठी पूजा के साथ हजारीबाग के बड़कागांव में धनरोपनी शुरू, महिला किसानों ने की धरती माता, लक्ष्मी माता एवं गवाट की पूजा 3
खेत में गूंज रहे लोकगीत

‘गेंदा खेलन गेले बेटा सारा योग अब बरसात आई ले खेत जोता धान रोपाई…’, ‘रुणुझुणु घंटी बाजे बइला घेघावा में गंगा मैया एलथिन खेतवा में…’ आदि लोकगीत धान रोपते हुए महिलाएं गा रही हैं. हजारीबाग जिला के बड़कागांव, कटकमसांडी, केरेडारी क्षेत्र में धनरोपनी शुरू हो गयी है. नवादा में धनरोपनी करने वाली बीना देवी, अनीता देवी, गीता देवी, चिंता देवी, गार्गी देवी व अन्य ने बताया कि अभी तो धान रोपने की शुरुआत हुई है.

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इन्होंने बताया कि जिन लोगों ने पहले धान के बीज लगाये थे, उन्होंने भी धनरोपनी शुरू कर दी है. इस बार बारिश थोड़ी देर से आयी, इसलिए बहुत से लोग धान का बीज समय पर नहीं लगा पाये. सो इस बार धनरोपनी सावन तक चलेगा. धान का बीज लगाते हुए महिलाएं लोकगीत गा रही हैं.

खेतों में गूंजे लोकगीत : पचाठी पूजा के साथ हजारीबाग के बड़कागांव में धनरोपनी शुरू, महिला किसानों ने की धरती माता, लक्ष्मी माता एवं गवाट की पूजा 4

किसानों की गृहणियां खेतों में धान की रोपाई करते समय लोकगीत को गाकर भरतीय सभ्यता व संस्कृति को जीवंत कर रही हैं. खेतों में समूह में काम करते हुए इनके लोकगीत को सुनकर वहां से गुजरने वाले बरबस ही थोड़ी देर ठहर जाते हैं. उनके गीत का आनंद लेते हैं और फिर आगे बढ़ जाते हैं. बारिश ने अन्नदाता के मुरझाये चेहरे पर खुशी ला दी है.

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Posted By : Mithilesh Jha

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