बड़कागांव में आज भी लाठ-कुंडी के सहारे सिंचाई करते हैं किसान

पानी के अभाव में मुरझाने लगे हैं 300 एकड़ में लगे फसल संजय सागर, बड़कागांव वैश्वीकरण के युग में भी बड़कागांव प्रखंड के किसान आज भी लाठ-कुंडी से खेतों की सिंचाई करते हैं. क्योंकि इस क्षेत्र में सिंचाई का समुचित साधन नहीं है. किसान नदियों व वर्षा के भरोसे खेती करते हैं. बड़कागांव में 45 […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 11, 2019 4:31 PM

पानी के अभाव में मुरझाने लगे हैं 300 एकड़ में लगे फसल

संजय सागर, बड़कागांव

वैश्वीकरण के युग में भी बड़कागांव प्रखंड के किसान आज भी लाठ-कुंडी से खेतों की सिंचाई करते हैं. क्योंकि इस क्षेत्र में सिंचाई का समुचित साधन नहीं है. किसान नदियों व वर्षा के भरोसे खेती करते हैं. बड़कागांव में 45 डिग्री तापमान होने के कारण नदियां व तालाब सुख चुके हैं. ऐसी परिस्थिति में विभिन्न प्रकार की फसलें मुरझाने लगी हैं. इस कारण किसान काफी चिंतित है. पानी के अभाव में नदियों के किनारे खेती योग्य भूमि लगभग 300 एकड़ जमीन में लगे फसल प्रभावित हैं.

कृषक अजय कुमार और राकेश कुमार का कहना है कि इन दोनों की भिंडी, प्याज, लहसुन, कचु, कांदा, पेक्ची, जेठुवा मक्कई, गन्ना आदि की फसल मुरझा रही है. तेज धूप के कारण फसलों के हरी पत्तियां जल जा रहे हैं. जिससे हम किसानों को लाखों की क्षति हो रही है. यहां हर चुनाव में किसानों की समस्या के समाधान के लिए चुनावी मुद्दे बनते हैं. लेकिन चुनाव बाद जनप्रतिनिधि भूल जाते हैं.

1980 में बना उद्भव सिंचाई योजना बंद

ठाकुर मोहल्ला निवासी अधिवक्ता बिंदेश्वरी प्रसाद सिन्हा ने बताया कि बड़कागांव प्रखंड में सिंचाई के लिए उद्भव सिंचाई योजना के तहत 1980 में उद्भव सिंचाई की स्थापना की गयी. लाखों रुपये के खर्च से कुएं, बिजली घर और विभिन्न गांव व खेतों तक पाइप लाइन बिछाई गयी थी. एवं नाले का निर्माण किया गया था. यह योजना 2 वर्ष तक सफल रहा. लेकिन 1983 के बाद से यह योजना ठप हो गयी. तब से कोई पहल नहीं किया गया.

धीरे-धीरे नाले भी खत्म हो गये. नाले में कई लोग अतिक्रमण कर लिए हैं. तो कई लोग घर बना लिए हैं. पानी टंकी भी गायब हो गया. मशीन जंग खा गयी और ना जाने मशीन कैसे गायब हो गई? यह विभाग ही जाने. सिंचाई योजना बंद हो जाने के बाद भी किसानों ने खेती करना नहीं छोड़ा. अपनी मेहनती, वर्षा और नदियों के भरोसे खेती करते रहे. कई ऐसे किसान हैं जो स्वयं कुआं खोदकर आज भी खेती करते हैं.

इन गांव में सिंचाई भगवान भरोसे

बड़कागांव प्रखंड के पीपल नदी, तरीवा नदी, झरिवा नदी के किनारे लगभग 75 एकड़ भूमि, चोरका, पंडरिया, महटिकरा, हरदरा नदी क्षेत्र में 75 एकड़ जमीन में खेती होती है. इसके अलावा बादमाही नदी, विश्रामपुर की नदी, मंझलाबाला नदी, सिरमा, छावनियां नदी के किनारे सैकड़ों एकड़ भूमि में खेती होती है. नदियों के सूख जाने के कारण फसल बर्बादी की कगार पर हैं.

किसानों की राय

बड़कागांव मध्य पंचायत के अंसारी मोहल्ला निवासी मिट्ठू मियां ने बताया कि सरकार की ओर से कोई सिंचाई की सुविधा नहीं मिला. इस कारण अपने से कुआं खोदकर लाठ-कुंड़ी से खेत में पानी पटाते हैं. साढ़गडीह के निवासी अजय कुमार ने बताया कि सरकार की ओर से अब तक कोई सिंचाई का साधन उपलब्ध नहीं है.

छोटे-मोटे तालाब बनवाकर केवल खाना पूर्ति की जाती है. ग्रीष्म ऋतु में सभी ताल, तलैया सूख गये हैं. जिससे खेती करने एवं जानवरों को पानी पिलाने में परेशानी हो रही है. कृषक सुखदेव महतो, सुरेश महतो, लखन महतो ने बड़कागांव में बंद पड़े सिंचाई योजना को शुरू करने की मांग की है.

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