आदिवासी धार्मिक स्थल गुमला के सिरासीता में लगा मेला, धर्मगुरु बोले- देवघर के बाबाधाम की तरह ककड़ोलता भी बने धार्मिक स्थल

Jharkhand News, Gumla News : झारखंड के गुमला जिला से 75 किमी दूर डुमरी प्रखंड के पुटरूंगी गांव से एक हजार फीट ऊंचे पहाड़ पर स्थित आदिवासी धार्मिक स्थल सिरासीता नाले एवं ककड़ोलता में गुरुवार (4 फरवरी, 2021) को मेला लगा. बिहार, बंगाल, ओड़िशा, छतीसगढ़, असम, बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत नेपाल के 30 हजार से अधिक संख्या में आदिवासी समाज के लोग ककड़ोलता पहुंचकर पूजा- अर्चना किये. आदिवासियों के उत्पत्ति स्थल सिरासीता नाले के समीप सामूहिक प्रार्थना की गयी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 4, 2021 5:15 PM

Jharkhand News, Gumla News, ककड़ोलता (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला जिला से 75 किमी दूर डुमरी प्रखंड के पुटरूंगी गांव से एक हजार फीट ऊंचे पहाड़ पर स्थित आदिवासी धार्मिक स्थल सिरासीता नाले एवं ककड़ोलता में गुरुवार (4 फरवरी, 2021) को मेला लगा. बिहार, बंगाल, ओड़िशा, छतीसगढ़, असम, बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत नेपाल के 30 हजार से अधिक संख्या में आदिवासी समाज के लोग ककड़ोलता पहुंचकर पूजा- अर्चना किये. आदिवासियों के उत्पत्ति स्थल सिरासीता नाले के समीप सामूहिक प्रार्थना की गयी.

आदिवासी धर्मगुरु बंधन तिग्गा द्वारा सिरासिता नाले एवं ककड़ोलता में पूजा- पाठ कराया गया. साथ ही आदिवासी परंपरा के अनुसार गीत पेश किया गया. भाई- बहन की कहानी बतायी गयी. किस प्रकार आदिवासियों की उत्पति हुई. इसकी भी जानकारी दी गयी. धर्मगुरु ने कहा कि यह आदिवासियों के आस्था और विश्वास का स्थल है. सभी धर्म के लोग इस आदिवासी धार्मिक तीर्थस्थल की पवित्रता का सम्मान करे.

आदिवासियों का यह सृष्टि स्थल है. इस स्थल की मान्यता है कि ककड़ोलता के गंगला खइंड में भईया- बहन के रूप में धर्मेश और चाला आयो आये थे. महादेव और माता पार्वती के द्वारा भईया बहन का ककड़ोलता सृष्टि स्थल में भरण पोषण किया गया. सब आदिवासी उन्हीं के संतान हैं. इसी सोच के साथ सभी सरना आदिवासी पूजा- अर्चना करने लिए आते हैं.

Also Read: Jharkhand News : गुमला में टेंपो स्टैंड नहीं, फिर भी होती है टैक्स वसूली

धर्मगुरु श्री तिग्गा ने कहा कि इस धार्मिक स्थल की सबसे बड़ी मान्यता है कि यहां जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह पूर्ण होती है. इसलिए इस धार्मिक स्थल को मनोकामनापूर्ण स्थल भी कहा जाता है. उन्होंने हेमंत सरकार से देवघर के बाबाधाम की तर्ज पर इस आदिवासी धार्मिक स्थल का विकास करने की अपील की है. साथ ही धार्मिक स्थल में श्रद्धालुओं के लिए विश्राम गृह, पेयजल, पार्किंग, सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सेवा आदि व्यवस्था कराने की मांग की गयी है.

आदिवासी को अब कोई ठग नहीं सकता : डॉ करमा

शिक्षाविद् डॉ करमा उरांव ने कहा कि सरना आदिवासी अब किसी भी धर्म की छत्रछाया में जीना नहीं चाहते हैं. सरना धर्म को अब कोई नहीं ठग सकता है. यह धर्म अब आजाद हो चुका है. सरना आदिवासी धर्म कोड की मांग की प्रस्ताव को राज्य सरकार द्वारा पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया है. केंद्र सरकार सरना आदिवासी धर्म कोड को जल्द लागू करें. अंतरराष्ट्रीय सरना धर्म द्वारा आगामी 21 मार्च को सरना धर्म कोड की मांग को लेकर रांची मोहराबादी मैदान में महारैली एवं 11 नवंबर, 2021 को विजय दिवस का आयोजन किया जायेगा.

घर के दुख दूर करने के लिए ले गये पवित्र जल

सिरासीता नाले से पवित्र जल उठाने वाले लोगों की भीड़ लगी हुई थी. मान्यता है कि जिस प्रकार गंगा जल को पवित्र माना जाता है. उसी प्रकार सिरासीता नाले का जल पवित्र है. इसलिए लोटा, बोतल एवं अन्य बर्तन में पवित्र जल उठाने वाले लोगों की भीड़ लगी हुई थी. पूजा समिति के लोगों द्वारा सभी को कतार में खड़े कर जल उठाने के लिए दिया जा रहा था. सुबह 6 बजे से ही सिरासीता नाले से जल उठाने का काम शुरू हो गया था, जो शाम 5 बजे तक चला. इस दौरान 30 हजार से अधिक लोगों ने जल उठाया है. वहीं, पूजा में पहुंचे आदिवासी समाज के लोग धर्मगुरु से आशीर्वाद लेने के लिए कतार पर खड़ा हो गये.

Also Read: 4 फरवरी को गुमला के सिरासीता में लगेगा मेला, 7 राज्य से आदिवासी समुदाय के हजारों लोगों का होगा जुटान
कार्यक्रम में इनकी रही सहभागिता

मौके पर धर्मगुरु डीडी तिर्की, विरेंद्र उरांव, अशोक कुमार भगत, संजय भगत, सोमनाथ लकड़ा, गिरी उरांव, सुशीला उरांव, सुधीर लकड़ा, रामदयाल मांझी, सुलोचना देवी, रवि तिग्गा, नारायण उरांव, कमली उरांव, रामकिशुन उरांव, ममता उरांव, सूर्यदेव उरांव, मिठू उरांव, रामसाय उरांव, भूलन उरांव, राजेश भगत, शिव भगत, मणिलाल केरकेट्टा, बालकृष्णा उरांव, झारियो केरकेट्टा, सुशील उरांव, जीतू उरांव, गोपाल उरांव, आंगीराम उरांव, जयदेव सरदार सहित भारी संख्या में सरना धर्मावलंबी शामिल हुए.

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version