बिशुनपुर में लोंगा पुल का पिलर टेढ़ा, छह हजार आबादी जान हथेली पर रख करते हैं सफर

दुर्जय पासवान, गुमला गुमला जिले के अति नक्सल प्रभावित बिशुनपुर प्रखंड से दस किमी दूरी पर लोंगा नदी है. यहां वर्ष 2010 में तीन करोड़ रुपये से पुल बना था. लेकिन भ्रष्टाचार के बीच बने घटिया पुल का पिलर नदी में धंस गया है. जिससे एक पिलर टेढ़ा हो गया है. पुल के ऊपर से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 16, 2019 9:58 PM

दुर्जय पासवान, गुमला

गुमला जिले के अति नक्सल प्रभावित बिशुनपुर प्रखंड से दस किमी दूरी पर लोंगा नदी है. यहां वर्ष 2010 में तीन करोड़ रुपये से पुल बना था. लेकिन भ्रष्टाचार के बीच बने घटिया पुल का पिलर नदी में धंस गया है. जिससे एक पिलर टेढ़ा हो गया है. पुल के ऊपर से भार पड़ा या नदी में तेज बहाव आया तो कभी भी पुल ध्वस्त हो सकता है. पुल का यह हाल वर्ष 2010 में आयी बारिश से हुआ है. पिलर धंसे आठ साल गुजर गया. लेकिन अभी तक इसकी मरम्मत नहीं की गयी है.

इस पुल को ठीक करने का निर्देश ठेकेदार को दिया गया था. परंतु दोबारा ठेकेदार पुल नहीं बनवा सका. नतीजा आज यह खतरनाक जोन बन गया है. पुल से गुजरते वक्त गाड़ी से उतरकर पार करना पड़ता है. गांव के लोग जान हथेली पर रखकर टेढ़े पुल से सफर करते हैं. इसबार के लोकसभा चुनाव में दर्जन भर गांवों के लिए यह चुनावी मुद्दा है.

हालांकि इस क्षेत्र के ग्रामीण नेताओं से पूछ रहे हैं कि पुल कब बनेगा. लेकिन इसका जवाब किसी नेता के पास नहीं है. पुल टेढ़ा होने के कारण पुलिस को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है. क्योंकि इसी नदी से होकर देवरागानी, तेंदार, दीरगांव, लुपुंगपाट, विमरला सहित कई गांव के लोग आते-जाते हैं. ये सभी गांव घोर नक्सल प्रभावित हैं. नक्सली इन इलाकों को सेफ जोन बनाकर रहते हैं.

पुल के आभाव में पुलिस को आने जाने में परेशानी होती है. ग्रामीण भी परेशान हैं. अगर पुल बन जाये तो इस क्षेत्र में वाहनों का आवागमन आसानी से हो सकेगा. करीब छह हजार आबादी को फायदा होगा. यहां बता दें कि नक्सल के कारण इस क्षेत्र की सभी छोटी नदियों पर पुल निर्माण अधूरा है. आज भी इस क्षेत्र के लोगों को मुश्किलों का सामना कर सफर करना पड़ रहा है.

Next Article

Exit mobile version