रेशम उत्पादन में बुनकरों की मेहनत का अहम योगदान : महाप्रबंधक
भगैया में राष्ट्रीय हेंडलूम दिवस पर बुनकरों को मिली नयी दिशा, महाप्रबंधक ने किया उद्घाटन
ठाकुरगंगटी प्रखंड के मानिकपुर पंचायत अंतर्गत भगैया स्थित शहीद निर्मल महतो प्रशिक्षण केंद्र में 11वां राष्ट्रीय हेंडलूम दिवस का भव्य आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया, जिसमें जिला उद्योग केंद्र गोड्डा के महाप्रबंधक रामाकांत चतुर्वेदी, डब्लूएससी के पूरण माल सैनी, सुबोजीत दास, पंचायत के मुखिया इग्नेसियस मुर्मू और प्रबंधक उत्पादन राजकुमार सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे. कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों को शॉल और बुके भेंटकर सम्मानित करते हुए की गयी. अपने संबोधन में महाप्रबंधक रामाकांत चतुर्वेदी ने बुनकरों के परिश्रम की सराहना करते हुए कहा कि रेशम उत्पादन में उनकी मेहनत का अहम योगदान है. उन्होंने बुनकरों को पारंपरिक तकनीकों के साथ-साथ नवाचार की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि बुनकर कटिंग, शर्ट, बटन और काज जैसे कपड़ों से अत्याधुनिक उत्पाद तैयार करें, जिससे बाजार में उनकी अलग पहचान बन सके. उन्होंने यह भी बताया कि भगैया अब रेशम उत्पादन के कारण देश ही नहीं, विदेशों में भी जाना जा रहा है. महिलाओं की भागीदारी पर बल देते हुए श्री चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने हेतु विभाग हरसंभव सहयोग करेगा. कोकून की आपूर्ति में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी, साथ ही ऋण की आवश्यकता होने पर स्थानीय बैंकों से सहयोग दिलाने की व्यवस्था की जाएगी. मुखिया इग्नेसियस मुर्मू ने बुनकरों के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि एक समय लोग गुलामी के दौर में वस्त्र के लिए तरसते थे, लेकिन आज गांव के बुनकर देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुके हैं. उन्होंने बुनाई-कढ़ाई कार्य को और प्रोत्साहन देने की बात कही और बुनकरों के लिए बेहतर उपकरण और संसाधनों की आवश्यकता जतायी. डब्लूएससी प्रतिनिधि पूरण माल सैनी ने कहा कि बुनकरों को हस्तकरघा से जुड़ी सभी तकनीकी और योजनागत जानकारी दी जाएगी. उन्होंने बुनकरों को बाजार की मांग और डिजाइन की दृष्टि से प्रशिक्षित करने की बात भी कही.
बुनकरों को बीमा और एमएसएमई योजनाओं की दी गयी जानकारी
शिविर के दौरान केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न बुनकर हितैषी योजनाओं, बीमा सुरक्षा और एमएसएमई से जुड़ी सुविधाओं की जानकारी भी दी गयी. इससे बुनकरों को न केवल उत्पादन के स्तर पर लाभ मिलेगा, बल्कि वे आर्थिक सुरक्षा और सरकारी सहयोग से भी सशक्त होंगे. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बुनकर पुरुष एवं महिलाएं, स्वयं सहायता समूह की सदस्य और स्थानीय ग्रामीणजन उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
