सरस्वती नदी नाले में हुई तब्दील
गढ़वा : गढ़वा जिला मुख्यालय में पिछले दो दशक से नदियों पर अतिक्रमण का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. शहर के बीचोबीच गुजरी सरस्वती नदी आज नाले में तब्दील हो गयी है़ वहीं शहर की लाइफलाइन माने जाने वाली दानरो नदी भी अतिक्रमणकारियों से नहीं बच सकी है. इस मामले में अभी […]
गढ़वा : गढ़वा जिला मुख्यालय में पिछले दो दशक से नदियों पर अतिक्रमण का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. शहर के बीचोबीच गुजरी सरस्वती नदी आज नाले में तब्दील हो गयी है़ वहीं शहर की लाइफलाइन माने जाने वाली दानरो नदी भी अतिक्रमणकारियों से नहीं बच सकी है. इस मामले में अभी तक अतिक्रमण हटाने के नाम पर खानापूरी ही होते आया है़
समाचार के अनुसार गढ़वा शहर के बीच से दो नदियां गुजरी है, जिनमें एक पश्चिम से पूरब सरस्वती नदी व दूसरी दक्षिण से उत्तर दानरो नदी. शहर के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि दो नदियों के यहां से गुजरने के कारण ही गढ़वा शहर यहां बसा था. पहले नदी व जलाशयों के किनारे बसना लोग समृद्धि का प्रतीक मानते थे. पहले आबादी कम थी और इन्हीं नदियों से लोग नहाने से लेकर पीने तक का पानी इस्तेमाल करते थे. गर्मी के दिनों में शहरवासियों को इन नदियों के द्वारा शीतलता प्राप्त होती थी, तथा पानी से संबंधित अधिक काम-काज लोग इन्हीं नदियों से करते थे. लगातार नदियों के अतिक्रमण से उनके अस्तित्व पर खतरे का बदल मंडराता रहा,लेकिन लोग नहीं चेते. नतीजा यह हुआ कि वर्तमान में सरस्वती नदी नाले में तब्दील हो गयी है. नदी के दोनों किनारों पर अतिक्रमणकारियों द्वारा बड़े-बड़े भवनों का निर्माण कराया जा रहा है और कई भवन तो पहले ही बनाये जा चुके हैं.
वहीं नदी के दोनों छोर पर बसे शहर के लोगों के सीवरेज का गंदा पानी भी सरस्वती नदी में आकर जमा हो जाता है, जिसे पानी काफी दूषित हो गया है.नदी में जमा पानी कला व जहरीला हो गया है, जो पशु पक्षी के पीने के भी काबिल नहीं है. वहीं शहर के बीच से गुजरी दानरो नदी पर भी अतिक्रमण का सिलसिला जारी है.
दानरो के तट पर पर फ्रेंड्स क्लब व स्टूडेंट क्लब छठ घाट के समीप नदी के किनारे दर्जनों लोग अतिक्रमण कर आस्थायी दुकान बना डाली है. उल्लेखनीय है कि अतिक्रमण को लेकर न्यायालय के निर्देश पर पिछले दिनों जिला प्रशासन ने सड़क के चौक चौराहों पर खानापूरी कर अपनी ड्यूटी समाप्त कर ली. लेकिन नदियों के अस्तित्व को हो रहे नुकसान को लेकर सरकार व जिला प्रशासन मूकदर्शक बनी हुई है. अगर समय रहते इन दोनों नदियों के अस्तित्व को नहीं बचाया गया, तो आने वाले दिनों में इनका नमो-निशान मिट जायेगा.