डहर छेंका के बहाने दिखायी एकजुटता

समाज के सांसद व विधायक सदन में मामला उठायें, वरना सबक सिखायेंगे गालूडीह : कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने, कुड़माली भाषा को मान्यता देने व सिलेबस में शामिल करने, सरना धर्म कोड लागू करने की मांग पर बुधवार को बंगाल के कुड़मी समाज ने डहर छेंका ( प्रवेश बंद) आंदोलन के बहाने सामाजिक एकजुटता […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 22, 2017 5:57 AM

समाज के सांसद व विधायक सदन में मामला उठायें, वरना सबक सिखायेंगे

गालूडीह : कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने, कुड़माली भाषा को मान्यता देने व सिलेबस में शामिल करने, सरना धर्म कोड लागू करने की मांग पर बुधवार को बंगाल के कुड़मी समाज ने डहर छेंका ( प्रवेश बंद) आंदोलन के बहाने सामाजिक एकजुटता दिखायी. आदिवासी-कुड़मी समाज बांदवान ब्लॉक कमेटी के आह्वान पर बंगाल से झारखंड को जोड़ने वाली मुख्य सड़क बांदवान टू गालूडीह सड़क को 12 घंटे जाम रखा. इस आंदोलन को कुड़मियों ने डहर छेंका ( प्रवेश बंद) नाम दिया था.
इस दौरान बाइक तक पार होने नहीं दिया. दोनों राज्य के व्यापार को धक्का पहुंचा. खास कर सब्जी, चावल, धान, पोल्ट्री मुर्गी, मछली का ट्रांसपोर्ट बंद रहा. इससे व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ. कुड़मी समाज के पुरुष-महिला पारंपरिक हथियारों से लैस होकर ढोल-धमके साथ झारखंड को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पहाड़गोड़ा (कुचिया) के पास जाम कर दिया था.
आदिवासी कुड़मी समाज के केंद्रीय अध्यक्ष अजीत कुमार महतो, राज्य सभापति शंशाकर महतो, राज्य संपादक शशधर महतो, बोलो हरी महतो, मदन मोहन महतो, पशुपति महतो, शंभूनाथ महतो, प्रशांत महतो, जीवन महतो आदि ने कहा कि एक षड्यंत्र के तहत आदिवासी की श्रेणी से कुड़मी को हटाया गया. कुड़मी सांसद और विधायक सदन में इस मामले को उठाये, अन्यथा समाज सबक सिखायेगा. पुरुलिया और पूर्वी सिंहभूम जिले में कुड़मियों की एक बड़ी आबादी है. समाज से बड़ा कोई नहीं होता.

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