धनबाद के बीबीएमके यूनिवर्सिटी में एसटी के लिए 26 फीसदी सीटें, स्टूडेंट्स नहीं मिलने से आधी सीटें खाली

आदिवासी समाज के युवाओं को शिक्षा से लेकर रोजगार में समान अवसर मिले, इसी उद्देश्य से झारखंड की स्थापना हुई. लेकिन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यह समाज आज भी काफी पीछे है. इसका प्रमुख उदाहरण है कि विश्वविद्यालयों में कभी भी एसटी कोटे की सीट नहीं भर पाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2022 5:02 PM

अशोक कुमार, धनबाद

World Indigenous Day 2022: आदिवासी समाज के युवाओं को शिक्षा से लेकर रोजगार में समान अवसर मिले, इसी उद्देश्य से झारखंड की स्थापना हुई. इसमें कोई दो राय नहीं कि आदिवासी समाज के जीवन स्तर में काफी सुधार हुआ है. लेकिन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यह समाज आज भी काफी पीछे है. इसका प्रमुख उदाहरण है कि विश्वविद्यालयों में कभी भी एसटी कोटे की सीट नहीं भर पाती है.

एसटी स्टूडेंट्स के लिए 26 फीसदी सीटें रिजर्व

कागजों पर इस समुदाय के छात्रों के लिए 26 प्रतिशत सीट कॉलेज और विश्वविद्यालयों में सुरक्षित रखी जाती है. लेकिन हकीकत इससे उलट है. बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय में एसटी कोटे के लिए आरक्षित सीट से भी कम आवेदन आते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि इनके कोटे की बची हुई सीटों को रोस्टर के अनुसार भरा जाता है.

स्थिति में हो रहा सुधार

बीबीएमकेयू के एडमिशन सेल की चेयरपर्सन डॉ नविता गुप्ता बताती हैं कि अभी किसी भी विषय में एसटी कोटे की सीटें नहीं भर पाती हैं. इस कोटे की रिक्त सीटों को पहले अनुसूचित जाति के छात्रों को मौका दिया जाता है. अगर यह उपलब्ध नहीं होते हैं, तो बीसी वन श्रेणी के छात्रों को मौका दिया जाता है. अगर इस श्रेणी से छात्र उपलब्ध नहीं होते है तो फिर बीसी टू, इडब्ल्यूएस, सामान्य और अंत में ओपेन श्रेणी के छात्रों को मौका दिया जाता है. डॉ नविता गुप्ता बताती है कि विवि में आदिवासी विद्यार्थियों की संख्या में धीरे धीरे वृद्धि हो रही है.

केवल 11 प्रतिशत आदिवासी यूजी कोर्स में नामांकित

बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के अधीन धनबाद व बोकारो के अंगीभूत कॉलेजों में केवल 11 प्रतिशत आदिवासी छात्र व छात्राएं नामांकित हैं. सबसे अधिक आदिवासी समुदाय के छात्र आरएस मोर कॉलेज, गोविंदपुर में नामांकित हैं. यहां आदिवासी विद्यार्थियों की संख्या 20 प्रतिशत के करीब है. सबसे कम संख्या बीएसके कॉलेज मैथन में है. यहां इनकी संख्या 10 प्रतिशत से कम है. बीबीएमकेयू में यूजी की कुल 22 हजार सीट है. इसमें सभी विषयों में एसटी कोटे के लिए करीब 5700 सीट एसटी कोटे के लिए आरक्षित है. लेकिन धनबाद व बोकारो के 10 अंगीभूत कॉलेजों में केवल करीब 2500 आदिवासी छात्र व छात्राएं नामांकित हैं.

पीजी में सात प्रतिशत आदिवासी विद्यार्थी

वहीं बीबीएमकेयू के पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में आदिवासी विद्यार्थियों की संख्या काफी कम है. विवि में संचालित 28 पीजी प्रोग्राम में केवल सात प्रतिशत छात्र ही नामांकित हैं. इनके कोटे की सीटों को रोस्टर के अनुसार भरा जाता है. विवि में पीजी की पढ़ाई विवि पीजी विभाग के साथ एसएसएलएनटी महिला कॉलेज, आरएसपी कॉलेज और बीएस सिटी कॉलेज बोकारो में होती है. सभी जगहों को मिलाकर करीब 3200 सीट हैं. हर विभाग में 26 प्रतिशत सीट एसटी छात्रों के लिए आरक्षित हैं. लेकिन सभी विषयों को मिलकार करीब 220 एसटी छात्र व छात्राएं ही नामांकित हैं.

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