अमलाटोला की बेटी ने किया पिता का अंतिम संस्कार, मुखाग्नि भी दी

Jharkhand news, Chaibasa news : बिटिया अभिशाप नहीं वरदान होती है. इसे चरितार्थ कर दिखाया है अमलाटोला मोहल्ले की 2 बेटियों ने. दरअसल मारवाड़ी युवा मंच के जागृति शाखा की सदस्य कमला शर्मा के पति गोपाल शर्मा की तबीयत कुछ दिनों से खराब चल रही थी. उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी. सोमवार को उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गयी. इस बीच पिता का देहांत हो गया. गोपाल शर्मा का कोई बेटा नहीं होने के कारण अंतिम संस्कार की रस्म अदायगी छोटी बेटी निकिता शर्मा ने अदा की. उसने न केवल अंतिम संस्कार की सारी रस्मों की अदायगी की, बल्कि मुखग्नि भी दी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2020 9:00 PM

Jharkhand news, Chaibasa news : चाईबासा (पश्चिमी सिंहभूम) : बिटिया अभिशाप नहीं वरदान होती है. इसे चरितार्थ कर दिखाया है अमलाटोला मोहल्ले की 2 बेटियों ने. दरअसल मारवाड़ी युवा मंच के जागृति शाखा की सदस्य कमला शर्मा के पति गोपाल शर्मा की तबीयत कुछ दिनों से खराब चल रही थी. उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी. सोमवार को उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गयी. इस बीच पिता का देहांत हो गया. गोपाल शर्मा का कोई बेटा नहीं होने के कारण अंतिम संस्कार की रस्म अदायगी छोटी बेटी निकिता शर्मा ने अदा की. उसने न केवल अंतिम संस्कार की सारी रस्मों की अदायगी की, बल्कि मुखग्नि भी दी.

गोपाल शर्मा की सिर्फ 2 बेटियां ही है. तबीयत अधिक खराब होने पर उन्होंने टाटा कॉलेज में बीसीए कंप्यूटर साइंस की टीचर बड़ी बेटी अंकिता शर्मा से डॉक्टर के यहां ले चलने को कहा. हालांकि, अंकिता शर्मा गर्भवती है, लेकिन उसने इसकी तनिक भी परवाह नहीं की. वह अपनी मां कमला शर्मा के साथ पिता को इलाज के लिए रांची ले जाने लगी. रास्ते में पिता गोपाल शर्मा ने बेटी अंकिता से राणी सती दादीजी की भभूती चटाने को कहा. इस पर शिक्षिका बेटी अंकिता शर्मा ने उन्हें भभूती चटा दी.

भभूती चटाते ही गोपाल शर्मा ने आंखे बंद कर ली और उनका शरीर ठंडा पड़ने लगा. बेटी अंकिता को भी इस बात का अहसास हो गया कि पिता अब दुनिया में नहीं रहे और शरीर त्याग दी है, लेकिन मां को उसने कुछ नहीं बताया और पिता को लेकर रांची के कटहल मोड़ स्थित एक अस्पताल पहुंची, जहां चिकित्सक ने देखते ही मृत घोषित कर दिया.

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इसके बाद अंकिता अपनी मां के साथ पिता के पार्थिव शरीर को लेकर चाईबासा पहुंची और अगले दिन मंगलवार को शव का अंतिम संस्कार किया गया. बेटा नहीं रहने के कारण अंतिम संस्कार की रस्म अदायगी छोटी बेटी निकिता शर्मा ने अदा की. उसने न केवल अंतिम संस्कार की सारी रस्मों की अदायगी की, बल्कि मुखग्नि भी दी.

निकिता शर्मा जमशेदपुर में एक प्राइवेट कंपनी में काम करती है. पिता की तबीयत काफी खराब होने की खबर मिलते ही वह भी जमशेदपुर से चाईबासा आ गयी थी. फिलहाल दोनों बेटियों ने इस मुश्किल घड़ी का जिस प्रकार डटकर सामना किया और बेटे की तरह रस्म अदायगी की, वह पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. लोग इस चर्चा के साथ दोनों बेटियों की प्रशंसा भी करते नहीं थक रहे हैं.

राणीसती दादी का फोटो साथ लेकर चले थे पिता

बड़ी बेटी अंकिता शर्मा बताती हैं कि पिता की तबीयत 17 सितंबर से ही खराब थी. उस दिन उन्होंने पिता की कोरोना जांच भी करायी थी, जिसमें वे नेगेटिव आये थे. हालांकि, वे शुगर के पेसेंट थे, लेकिन यह नॉर्मल ही था. लिहाजा जांच के बाद चिकित्सक ने विटामिन की गोलियां दी थी. वहीं, शनिवार को पिता का ऑक्सीजन लेबल काफी घट गया था. इस पर अंकिता शर्मा ने पिता से इलाज के लिए जमशेदपुर चलने को कही, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. वहीं रविवार को भी उनका ऑक्सीजन लेबल घटकर 89 तक पहुंच गया. इसके बाद सोमवार की सुबह अचानक पिता ने कहा कि मुझे ठीक नहीं लग रहा है. डॉक्टर के यहां ले चलो. इसके बाद अंकिता अपनी मां के साथ पिता को लेकर रांची जाने लगी. घर निकलते समय पिता ने राणी सती दादी की तसवीर अपने सीने से लगा रखी थी. अंकिता बताती हैं कि जैसे ही वे सरायकेला पार की पिता ने शरीर त्याग दिया.

राणी सती दादी भक्त थे पिता

अंकिता बताती है कि उसके पिता एक निजी कंपनी में काम करते थे. वे माता राणी सती दादी की भक्त थे. सुबह और शाम मंदिर की सफाई के साथ आरती और पूजन में भी शामिल रहते थे. कोरोना संक्रमण काल में मंदिर के कर्मी के घर लौट जाने के बाद से उनका अधिकतर समय मंदिर में ही बीतता था. वे सुबह से ही मंदिर की साफ- सफाई में जुट जाते थे.

शहर में एक माह में बेटी के मुखाग्नि देने की दूसरी घटना

गौरतलब है कि कोरोना काल में बेटियां द्वारा पिता का अंतिम संस्कार एवं मुखाग्नि देने की शहर में यह दूसरी घटना है. हाल ही में गाड़ीखाना में एक व्यक्ति की मौत के बाद घर में बेटे के अभाव में पिता को मुखाग्नि देने के लिए बेटी अपने पति के साथ छत्तीसगढ़ से चाईबासा आयी थी. इसके बाद ही अंतिम संस्कार की रश्म अदा की गयी थी. उस समय भी पिता के शव को बेटी ने ही मुखाग्नि दी थी.

Posted By : Samir Ranjan.

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