आधी आबादी: उम्र छोटी, लेकिन पूजा तनेजा के सपने बड़े

इस बार आधी आबादी के अंक में पढ़िए बोकारो की ऐसी ही चंद महिलाओं की कहानी उनकी जुबानी, जिन्होंने बताया कि एक महिला जब कुछ ठान लेती है तो उसे कोई भी ताकत मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती. पेश है चीफ सब एडिटर कृष्णाकांत सिंह की रिपोर्ट...

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2022 9:10 AM

आधी आबादी: पूजा तनेजा, ऐसी शख्सियत जिनका नाम चास-बोकारो में मारवाड़ी समाज के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में बड़े ही अदब से लिया जाता है. ऐसा इसलिए संभव हो सका कि उम्र तो छोटी थी, लेकिन सपने बड़े. क्योंकि जिस दौर में बच्चे करियर संवारने और भविष्य का ताना-बाना बुनते हैं, उस दौर में इनके अंदर एक बेचैनी थी. कुलबुलाहट थी. बेचैनी यह कि जब किसी गरीब, दबे-कुचले लोगों को दो जून की रोटी और मूलभूत जरूरत के लिए जद्दोजहद करते देखती थीं, तो मन में यही सवाल उठता था कि ऐसा क्यों होता है ? ये हमारी तरह क्यों नहीं हैं? फिर क्या था. अंजाम की परवाह नहीं करते हुए इस विश्वास के साथ आगाज किया कि लोगों की सेवा ही मेरी मंजिल है.

बचपन से ही समाज सेवा का देखा माहौल

पूजा कहती हैं कि बचपन से ही मैंने अपने घर में समाज सेवा का माहौल देखा है. मेरे पापा, चाचा, भाई और बाद में पति, सब लायंस क्लब अथवा रोटरी क्लब जैसी अंतरराष्ट्रीय सामाजिक संस्था से जुड़े हुए थे उन्हें देखकर मेरे अंदर भी समाजसेवा की ललक रहती थी कि मैं भी किसी जरूरतमंद के अथवा समाज के काम आऊं और अपने समय का सदुपयोग ही कर सकूं. मेरा विश्वास है कि ईश्वर कुछ विशेष लोगों को ही समाज के प्रति सकारात्मक सोच एवं उनके अंदर परोपकार की भावना देता है. ऐसे व्यक्ति ही समाज में मानवता का संदेश देने में सक्षम होते हैं. अपने जज्बे को साकार करने के लिए सन 2014 में मैंने रोटरी क्लब चास की सदस्यता ले ली और रोटरी के माध्यम से सामाजिक कार्यों से जुड़ गयी. मुझे सामाजिक कार्य करने के लिए रोटरी जैसा बड़ा बैनर मिला. इससे सामाजिक कार्य के प्रति मेरा दृष्टिकोण और व्यापक हुआ. मैं बढ़-चढ़कर सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेने लगी. रोटरी में नए दोस्त मिले और उनके साथ सामाजिक कार्य करने का अनुभव बेहद सुखद रहा. मुझे बहुत खुशी होती थी जब मैं किसी की मदद कर पाती थी. उस पल को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. केवल महसूस किया जा सकता है.

रोटरी क्लब में बनाई अपनी पहचान

पूजा कहती हैं कि रोटरी में मुझे अपनी पहचान बनानी थी, सो रोटरी की सदस्य बनने के एक वर्ष के अंदर ही रोटरी के विशिष्ट क्लब पॉल हैरिस फेलो क्लब में शामिल हो गयी. रोटरी के सत्र 20_21 के लिए मुझे सचिव पद की जिम्मेवारी दी गयी. वैश्विक महामारी के बीच भी रोटरी चास के माध्यम से सेवा कार्य की. पुनः रोटरी चास के सत्र 22-23 के लिए दोबारा मुझे सचिव बनाय गया. मेरा पूरा प्रयास है कि रोटरी टीम के साथ समाज की अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति की सेवा पर सकूं. मेरे काम से अगर एक भी व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान आती है, तो मैं समझूंगी कि मैंने समाज को कुछ दिया है. और फिर मैं ही क्यों, हर इंसान को ऐसा सोचना और करना चाहिए. वैसे भी हम सब इस समाज और धरती मां के कर्जदार हैं. हमें इसी जीवन में इस कर्ज को चुकाना होगा.

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