बीएसएलकर्मी व ठेका मजदूर 26 नवंबर को रहेंगे हड़ताल पर, केंद्र सरकार, बीएसएल व सेल प्रबंधन को जवाब देने की तैयारी

बोकारो (सुनील तिवारी) : 01.01.2017 से लंबित वेज रिवीजन सहित मजदूर विरोधी नीति के विरोध में बोकारो स्टील प्लांट के कर्मी व ठेका मजदूर 26 नवंबर को हड़ताल कर केंद्र सरकार व बीएसएल-सेल प्रबंधन को करारा जवाब देंगे. डिमांड को लेकर मजदूरों में जबरदस्त आक्रोश है. हड़ताल ऐतिहासिक होगा. प्लांट के अंदर विभिन्न विभागों व प्लांट के सभी गेट पर मीटिंग की जा रही है. हड़ताल को लेकर पोस्टर-पंपलेट के साथ-साथ शहर में माइक से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. ये बातें ट्रेड यूनियन संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने सेक्टर-03 स्थित बोकारो इस्पात कामगार यूनियन-एटक कार्यालय में साझा पत्रकार सम्मेलन में मंगलवार को कहीं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2020 12:35 PM

बोकारो (सुनील तिवारी) : 01.01.2017 से लंबित वेज रिवीजन सहित मजदूर विरोधी नीति के विरोध में बोकारो स्टील प्लांट के कर्मी व ठेका मजदूर 26 नवंबर को हड़ताल कर केंद्र सरकार व बीएसएल-सेल प्रबंधन को करारा जवाब देंगे. डिमांड को लेकर मजदूरों में जबरदस्त आक्रोश है. हड़ताल ऐतिहासिक होगा. प्लांट के अंदर विभिन्न विभागों व प्लांट के सभी गेट पर मीटिंग की जा रही है. हड़ताल को लेकर पोस्टर-पंपलेट के साथ-साथ शहर में माइक से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. ये बातें ट्रेड यूनियन संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने सेक्टर-03 स्थित बोकारो इस्पात कामगार यूनियन-एटक कार्यालय में साझा पत्रकार सम्मेलन में मंगलवार को कहीं.

मोर्चा के नेताओं ने कहा कि आज यह हड़ताल ऐसे समय में होने जा रही है, जब सेल-बीएसएल मजदूरों-ठेका मजदूरों का वेज रिवीजन 48 माह से लंबित है. हर माह ₹5000 से ₹10000 का नुकसान हो रहा है. दूसरी ओर डीए को भी फ्रीज करने की योजना है. डिप्लोमाधारी मजदूरों को जूनियर इंजीनियर का पदनाम के लिए पिछले 6 सालों से टहलाया जा रहा है. ठेका मजदूरों की स्थिति और भी बदतर है. उनके लिए ना कोई उचित मजदूरी है ना तो कोई भत्ता पेंशन, ग्रेच्युटी आदि. उचित मजदूरी मांगने पर तो प्लांट से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. प्रबंधन मुक-दर्शक बनी रहती है. नगर सेवा भवन नर्क सेवा बन चुका है.

Also Read: Fodder Scam : लालू प्रसाद यादव से जुड़े चारा घोटाला में सीबीआई ने किस आधार पर हाईकोर्ट में जमानत का विरोध किया, पढ़िए ये रिपोर्ट

बीजीएच की व्यवस्था तो पहले से हीं चरमराई हुई है. कोरोना का अस्पताल बना दिये जाने के बाद मजदूरों व उनके आश्रितों का इलाज कराना दूभर हो गया है. दूसरी तरफ, भारत सरकार मजदूरों पर लगातार हमले कर रही है. संसद में तानाशाही पूर्ण ढंग से थोक भाव में पुराने 25 कानूनों को समाप्त कर दिया गया है. मजदूरों, किसानों व आम लोगों के बुनियादी, लोकतांत्रिक व संवैधानिक अधिकारों पर किये जा रहे हमले के खिलाफ एकमात्र रास्ता है हड़ताल. देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. भारतीय रिजर्व बैंक, जीवन बीमा कंपनी व सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न उपकरणों का उपयोग सरकार एटीएम के रूप में कर रही है.

Also Read: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निधन पर झारखंड कांग्रेस ने जताया शोक, सीएम हेमंत सोरेन ने दी श्रद्धांजलि

मोर्चा के नेताओं ने कहा कि आम हड़ताल का प्रचार अपने अंतिम दौर में हैं. मोचा के पदाधिकारी व नेता कर्मियों के बीच जाकर हड़ताल से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं. हड़ताल का औचित्य बताया जा रहा है. बोकारो इस्पात कामगार यूनियन-एटक के महामंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह, इस्पात मजदूर मोर्चा-सीटू के महामंत्री बीडी प्रसाद, क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ- एचएमएस के महामंत्री राजेंद्र सिंह, सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स-एक्टू के महामंत्री देवदीप सिंह दिवाकर, बोकारो इस्पात सेंटर वर्कर्स यूनियन-एआईटीयूसी के महामंत्री मोहन चौधरी, बोकारो कर्मचारी पंचायत-एचएमएस के महामंत्री रमाकांत वर्मा आद उपस्थित थे.

26 नवंबर को प्रस्तावित अखिल भारतीय हड़ताल को लेकर बोकारो स्टील प्लांट में माहौल बनना शुरू हो गया है. छह यूनियनों ने संयुक्त रूप से घेराबंदी शुरू की है. विभागवार दौरा किया जा रहा है. एक जनवरी 2017 से लंबित वेतन समझौता व श्रम कानूनों में हो रहे बदलाव आदि के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया गया है. इसी बीच 19 तारीख को जारी 12 घंटे के कार्य दिवस के नोटिफिकेशन ने हड़ताल करने वालों को मुद्दा थमा दिया है. इसे लेकर संयंत्र के भीतर सरकार व प्रबंधन विरोधी आवाज उठने लगी है. इसको लेकर भी संयुक्त यूनियन की ओर से कर्मचारियों से संवाद किया जा रहा है.

Also Read: Dev Uthani Ekadashi and Tulsi Vivah 2020 : देवोत्थान एकादशी आज, भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के साथ शुभ मुहूर्त शुरू, आज से बजेगा बैंड बाजा

बोकारो इस्पात कामगार यूनियन-एटक के महामंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने कहा : एक सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा कार्य नहीं लिया जाना है. यदि कोई व्यक्ति चार दिन तक 12 घंटा कार्य करता है, तो चार दिन में ही 48 घंटे का कार्य संपन्न हो जाता है. ऐसे में चार दिन के बाद सप्ताह के बचे हुए तीन दिन कंपनी इन कर्मियों से कार्य करायेगी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है. नोटिफिकेशन में यह भी दर्ज है कि सरकार उन नियमों को आवश्यकता अनुसार बदल सकती है. ऐसे में निजी कंपनी मालिक अपनी कंपनी में आमतौर पर 10 से 12 घंटे तक कार्य लेते हैं, जो कि गैर कानूनी है. आज भी विश्व में कार्य दिवस आठ घंटे का ही है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Next Article

Exit mobile version