स्लम एरिया खाली नहीं कराने से रोड चौड़ीकरण को लगा ब्रेक

चास : एनएचएआइ-32 का चौड़ीकरण का कार्य चास क्षेत्र में छह माह से चल रहा है. लेकिन, कई कारणों से काम की रफ्तार धीमी है. चास नगर निगम क्षेत्र के सोलागीडीह और कालापत्थर में स्लम एरिया को अभी तक जिला प्रशासन कहीं बसा नहीं पाया है. इसके कारण संवेदक कंपनी को काम करने में परेशानी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 23, 2018 6:19 AM
चास : एनएचएआइ-32 का चौड़ीकरण का कार्य चास क्षेत्र में छह माह से चल रहा है. लेकिन, कई कारणों से काम की रफ्तार धीमी है. चास नगर निगम क्षेत्र के सोलागीडीह और कालापत्थर में स्लम एरिया को अभी तक जिला प्रशासन कहीं बसा नहीं पाया है. इसके कारण संवेदक कंपनी को काम करने में परेशानी आ रही है. संवेदक कंपनी की ओर से खाली जमीन को समतल कर मिट्टी-मोरम भरने का काम किया जा रहा है. इसके कारण आसपास रहने वाले लोगों को परेशानी हो रही है.
मिट्टी-मोरम भरने के दौरान उड़ने वाले डस्ट से परेशानी हो रही है. धूल-मिट्टी लोगों के घरों में घुस रहा है. निगम क्षेत्र के सोलागीडीह स्लम एरिया में 47 परिवार रहते हैं. छह माह पूर्व डीसी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन्हें नगर निगम की ओर से मांझीडीह में बनाये गये 128 आवास वाले ट्रांजिट ब्लॉक में बसाने का आदेश दिया गया था. लेकिन अभी तक इन 47 परिवारों को यहां नहीं बसाया जा सका है.
निगम क्षेत्र के आवास विहीन लोगों के लिए राजीव गांधी आवास योजना के तहत मांझीडीह में ट्रांजिट ब्लॉक का निर्माण कराया गया था. इसके निर्माण कार्य पर करीब छह करोड़ रुपये खर्च किये गये. दूसरी ओर कालापत्थर गांव के स्लम एरिया में रहने वाले परिवारों को भी कहीं बसाने की व्यवस्था अभी तक नहीं की गयी. हालांकि, पुपुनकी के 27 परिवारों को चास अंचल की ओर से जमीन देकर दूसरी जगह बसा दिया गया है.
मुआवजा को लेकर न्यायालय में है कई क्षेत्रों का मामला
एनएचएआइ-32 के किनारे कई मौजा के लोग मुआवजा सहित अन्य मांगों को लेकर न्यायालय के शरण में गये हैं. इसके कारण भी सड़क चौड़ीकरण का कार्य प्रभावित हो रहा है. जोधाडीह मोड़ चौक और आसपास के लोगों ने एनएचएआइ में प्रकाशित थ्रीडी के खिलाफ हजारीबाग आयुक्त न्यायालय में मामला दर्ज कराया है.
डुमरजोर मौजा के लोगों ने भी कम मुआवजा को लेकर आयुक्त सहित भू अर्जन न्यायालय में अपील दायर की है. डुमरजोर के लोगों का कहना है कि हमारी जमीन निगम क्षेत्र में है. हमें सिर्फ आठ हजार रुपया प्रति डिसमिल की दर से मुआवजा दिया जा रहा है. जबकि जामगोड़िया मौजा में ढाई लाख रुपया दिया गया.

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