फर्जी सरेंडर मामले में अब पांच मार्च को होगी सुनवाई

रांची : युवकों को नक्सली बनाकर फर्जी सरेंडर कराने के मामले में हाइकोर्ट में पांच मार्च को सुनवाई होगी. सोमवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय देने का आग्रह किया, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने पांच मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 11, 2020 2:17 AM

रांची : युवकों को नक्सली बनाकर फर्जी सरेंडर कराने के मामले में हाइकोर्ट में पांच मार्च को सुनवाई होगी. सोमवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय देने का आग्रह किया, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने पांच मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

इस संबंध में काउंसिल फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि राज्य के 514 आदिवासी युवकों को दिग्दर्शन कोचिंग संस्थान व पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से नक्सली बता कर सरेंडर कराने की तैयारी की जा रही थी.
इसके लिए युवकों को सरकारी नौकरी देने का प्रलोभन दिया गया था. सरेंडर कराने के पूर्व उन्हें पुरानी जेल में रखा गया था. अदालत से इस मामले की सीबीआइ जांच कराने का आग्रह किया गया है. पूर्व में सुनवाई करते हुए अदालत ने इस मामले में सरकार को जवाब दाखिल करने का समय दिया था.
छठी जेपीएससी मामले में याचिका दायर
रांची़ छठी जेपीएससी की मुख्य परीक्षा को रद्द करने को लेकर राहुल कुमार व अन्य ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका मेें छठी जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा के बाद सरकार द्वारा जारी पहले संकल्प को चुनौती दी गयी है.
कहा गया है कि 19 अप्रैल 2017 को सरकार द्वारा जारी संकल्प के चलते ही प्रारंभिक परीक्षा में पास हुए 5138 अभ्यर्थियों की संख्या बढ़कर 6103 हो गयी. नियमानुसार यह 15 गुना से अधिक है. इसलिए सरकार के संकल्प को रद्द किया जाये.
पिछले दिनों इस मामले में हाइकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार के दूसरे संकल्प को खारिज कर दिया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगायी है. दूसरे संकल्प के बाद 34 हजार अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में शामिल हुए. इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों की परीक्षा लेने में कई गलतियां हुई हैैं. ऐसे में मुख्य परीक्षा को रद्द कराया जाये.
कोर्ट ने सूचना आयोग के आदेश को सही ठहराया
रांची़ हाइकोर्ट ने सूचना आयोग के उस आदेश को सही ठहराया है, जिसमें समय पर सूचना नहीं देने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था. जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने सोमवार को सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया.
सूचना आयोग ने गढ़वा के वन संरक्षक सह सूचना पदाधिकारी रामजन्म राम पर समय पर सूचना नहीं दिये जाने पर 25 हजार का जुर्माना लगाया था. इस आदेश को उन्होंने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी.

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