रांची : मंदिर व मंदिर समिति का नाम बदलने पर दो पक्षों में विवाद, थाना पहुंचे दोनों पक्षों के लोग, दो घंटे तक होता रहा विवाद

रांची : सुखदेवनगर थाना क्षेत्र के इरगू टोली में बजरंग बली मंदिर को चलाने वाली इरगू टोली राज समिति का नाम बदल दिया गया है़ उसका नाम मारुति नीलकंठ शक्ति मंदिर कर दिया गया है. नाम बदलनेे और राज समिति के सदस्याें के नाम का शिलापट्ट मंदिर से हटा देने के बाद दो पक्षों में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 17, 2019 1:24 AM
रांची : सुखदेवनगर थाना क्षेत्र के इरगू टोली में बजरंग बली मंदिर को चलाने वाली इरगू टोली राज समिति का नाम बदल दिया गया है़ उसका नाम मारुति नीलकंठ शक्ति मंदिर कर दिया गया है. नाम बदलनेे और राज समिति के सदस्याें के नाम का शिलापट्ट मंदिर से हटा देने के बाद दो पक्षों में जम कर विवाद हुआ.
विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों पक्ष सुखदेवनगर थाना पहुंचे. सुबह लगभग 10:30 बजे से लेकर दिन के 12:30 बजे तक थाना में दोनाें पक्षों के बीच विवाद चलता रहा.
राज समिति के सदस्य इस बात से इतने आहत हुए कि उनलोगों ने कहा कि ऐसा होगा, तो वे लोग धर्म परिवर्तन कर लेंगे और विपरीत धर्म अपना लेंगे़ बाद में सुखदेवनगर थाना प्रभारी ने समझाया और कहा कि इस संबंध में रविवार को मीटिंग होगी. उसमें पूरा विवाद सुलझाया जायेगा़
मंदिर का स्वामित्व व नाम बदलने का विरोध कर रहे हैं राज समिति के लोग : समिति के एक सदस्य ने बताया कि इरगू टोली में 1948 में एक मंदिर बना था.
मौखिक रूप से एक भूखंड हरिजन समाज को दान में दिया गया था. वहां रामनवमी के समय लोगों ने अखाड़े के साथ बजरंग बली मंदिर का निर्माण किया़ वहां से लगातार रामनवमी का झंडा निकलता रहा.
इस अखाड़े को भुइयां समाज के नेता लखराज चलाते थे, इसलिए इस मंदिर समिति का नाम इरगू टोली राज समिति रखा गया, जो भुइंया समाज (हरिजन समाज) का है.
वर्ष 2008 से 2018 के बीच इरगू टोली राज समिति के सदस्यों ने मंदिर की ढलाई कर मंदिर का काम 90 प्रतिशत तक पूरा कर लिया़ मंदिर का इतना काम होने के बाद जमीन दान करनेवालों के वशंज सामने आ गये और मंदिर समिति का नाम बदल कर मारुति नीलकंठ शक्ति मंदिर कर दिया.
इस समिति का कहना है कि मंदिर का स्वामित्व हमारा हो. अब यहां कोई भी पूजा होगी, तो उसके लिए हमसे अनुमति लेनी होगी. जबकि वंशज यहां रहते भी नहीं हैं. इसका विरोध इरगू टोली के सभी लोग कर रहे हैं.
राज समिति का कहना है कि वे लोग मंदिर निर्माण का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन स्वामित्व व नाम बदलने का विरोध कर रहे है़ं यदि सभी लोग साथ मिल कर चलेंगे, तो हमलोग मंदिर निर्माण के शेष कार्य मेें तन-मन-धन से सहयोग करेंगे़

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