हरियाणा में हिंसक विरोध प्रदर्शनों में संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर वसूली के लिए नया कानून लागू

Haryana, Violent protest, Property damage : चंडीगढ़ : हरियाणा में डैमेज टू प्रॉपर्टी ड्यूरिंग डिस्टरबेंस एक्ट-2021 यानी संपत्ति क्षति-वसूली विधेयक-2021 को राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्या ने बुधवार को मंजूरी दे दी. इसी के साथ यह विधेयक कानून बन गया है. अब हरियाणा में उपद्रव या आंदोलनों के दौरान होनेवाले नुकसान की भरपायी उपद्रवियों से की जायेगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 26, 2021 9:05 PM

चंडीगढ़ : हरियाणा में डैमेज टू प्रॉपर्टी ड्यूरिंग डिस्टरबेंस एक्ट-2021 यानी संपत्ति क्षति-वसूली विधेयक-2021 को राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्या ने बुधवार को मंजूरी दे दी. इसी के साथ यह विधेयक कानून बन गया है. अब हरियाणा में उपद्रव या आंदोलनों के दौरान होनेवाले नुकसान की भरपायी उपद्रवियों से की जायेगी.

हरियाणा के जनसंपर्क एवं सूचना विभाग ने जानकारी देते हुए बताया है कि हरियाणा में नया कानून लागू हो गया है. उपद्रव या आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक व्यवस्था में संपत्ति को क्षति पहुंचाये जाने पर नुकसान करनेवालों से भरपाई की जायेगी. हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि महीने की शुरुआत में राज्य सरकार ने अधिनियम को अधिसूचित किया था.

सूबे के एक अधिकारी के मुताबिक, हरियाणा में नया कानून लागू होने से आंदोलनों की आड़ लेकर सार्वजनिक और सरकारी संपत्तियों के साथ-साथ दुकानों, घरों और वाहनों को नुकसान पहुंचाने पर प्रदर्शनकारियों से नुकसान की भरपाई की जायेगी. मालूम हो कि मार्च माह में विधानसभा में यह विधेयक पास किया गया था.

मालूम हो कि हरियाणा में यह कानून उत्तर प्रदेश सरकार के कानून की तर्ज पर लागू किया गया है. हरियाणा से पहले उत्तर प्रदेश में इसी प्रकार का एक विधेयक उत्तर प्रदेश सरकार ने ”उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम-2020” पारित किया था.

राज्य में लागू किये गये नये कानून को किसान आंदोलन से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. मार्च में विधेयक पास करने के दौरान विपक्ष ने विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि किसान आंदोलन के कारण विधेयक पास किया गया है. मालूम हो कि किसान आंदोलन के दौरान लाल किले पर प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था.

वहीं, कांग्रेस का मानना है कि ऐसे विधेयक की जरूरत ही क्या थी? यह कानून ऐसे समय में लाया गया है, जब किसान आंदोलन और धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस पर गृह मंत्री विज ने कहा था कि विधेयक को नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार के खिलाफ नहीं ला रहे हैं. विधेयक का आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है.

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