गोपालगंज में नेपाल से आ रहे विषैले सांप, 75 दिनों में सर्पदंश से 15 लोगों की चली गयी जान
ऊमस भरी गर्मी में लोग सांप डसने की घटना से त्रस्त हैं. विगत 75 दिनों में तीन सौ से अधिक लोग सर्पदंश के शिकार हुए. इनमें से 15 लोगों की मौत हो चुकी है. वजह, इलाज का अभाव कहा जाये या जागरूकता की कमी अथवा अंधविश्वास. जिन्हें विषैले सांप ने डस लिया, उनमें कई की मौत हो गयी. शायद ही कोई बच पाया है.
गोपालगंज. ऊमस भरी गर्मी में लोग सांप डसने की घटना से त्रस्त हैं. विगत 75 दिनों में तीन सौ से अधिक लोग सर्पदंश के शिकार हुए. इनमें से 15 लोगों की मौत हो चुकी है. वजह, इलाज का अभाव कहा जाये या जागरूकता की कमी अथवा अंधविश्वास. जिन्हें विषैले सांप ने डस लिया, उनमें कई की मौत हो गयी. शायद ही कोई बच पाया है.
40 फीसदी केस अकेले दियारे क्षेत्र में
बीते 15 अप्रैल से 30 जून तक सांप डसने की घटनाएं चरम पर रहीं. जिले की कुल घटनाओं का 40 फीसदी केस अकेले दियारे क्षेत्र में हुआ. आधुनिक व्यवस्था, ज्ञान-विज्ञान के दौर में भी न तो सर्पदंश की घटना में कमी आयी और न मौत पर काबू पाया जा सका है. इस बार भी जिले में सर्पदंश रूपी भय और इससे होनेवाली मौत जारी है. लेकिन, अभी तक न लोगों का सोच बदला और न व्यवस्था बदली.
अक्तूबर तक सर्पदंश की घटनाएं चरम पर रहती हैं
स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की मानें तो अक्तूबर तक सर्पदंश की घटनाएं चरम पर रहती हैं. हाल ही में उचकागांव में एक बच्चे की सांप के डसने के बाद देर से इलाज शुरू होने पर मौत हो गयी थी. उसकी मौत होने के बाद परिजनों ने स्वास्थ्य केंद्र में हंगामा और सड़क जाम कर बवाल किया था. डॉक्टरों के मुताबिक झाड़-फूंक कराने के बाद सदर अस्पताल लेकर पहुंचे थे. तब तब काफी विलंब हो चुका होता है और इन्हें बचा पाना मुश्किल होता है.
नेपाल से आते हैं विषैले सांप
गंडक नदी के पानी में जंगली जानवरों के साथ नेपाल के पहाड़ी इलाकों से बड़ी संख्या में जहरीले सांप भी आ रहे हैं. हर रोज सांप के डसने की 10 से 12 घटनाएं दियारा इलाके में हो रही हैं. सांप की प्रजातियों को पहचान पाना भी मुश्किल हो रहा है. हालांकि इस बार बाढ़ का पानी नहीं आया है. डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को पर्याप्त मात्रा में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन स्टॉक में रखने का निर्देश दिया है.
झाड़-फूंक के चक्कर में जाती है जान
अधिकतर लोग सर्पदंश की घटना होने के बाद स्वास्थ्य केंद्र जाने के बजाय अंधविश्वास में फंस जाते हैं. किसी के बहकावे में आकर इलाज कराने के बजाय झाड़-फूंक के चक्कर के पड़ जाते हैं. जब स्थिति बिगड़ने लगती है, तब वे अस्पताल का रुख करते हैं. तब तक जहर पूरे शरीर में फैल जाता है और बचाना मुश्किल होता है. कई ऐसे मरीजों की जान भी चली गयी है.
सर्पदंश की घटना दो माह में
-पीड़ितों की संख्या : 301
-सर्पदंश से हुई मौत : 15
-झाड़-फूंक के दौरान मौत : 5
-अस्पताल में वैक्सीन की स्थिति-उपलब्ध
सर्पदंश के बाद क्या करें
-मजबूती से कपड़ा बांध दें
-मेगापेन, डेक्सोना, एविल का इंजेक्शन लगाकर तत्काल अस्पताल पहुंचें
-ओझा-गुनी व तांत्रिक के चक्कर में न पड़ें
-सजगता से जान बचायी जा सकती है
क्या कहते हैं सीएस
सीएस डॉ वीरेंद्र प्रसाद कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नैक वेनम वैक्सीन उपलब्ध है. सर्पदंश से पीड़ित को बचाया जा सकता है. इसके लिए जागरूकता आवश्यक है. पीड़ित का तत्काल इलाज होना चाहिए. अधिकतर लोग अस्पताल बहुत देर से पहुंचते हैं, तब तक जहर शरीर में फैल चुका होता है और बचना-बचाना कठिन होता है.