खतरे में है प्रभाकर पुष्करिणी का वजूद, विभाग बेखबर

हाजीपुर : प्रशासनिक उदासीनता के कारण शहर का एक बौद्धकालीन सरोवर अपनी पहचान खोता जा रहा है. प्रभाकर पुष्करिणी के नाम से प्रसिद्ध यह ऐतिहासिक सरोवर विलुप्त होने के कगार पर है. समाहरणालय के निकट व्यावहार न्यायालय परिसर में स्थित यह सरोवर दशकों से प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है और अपने जीर्णोद्धार की राह देख […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 23, 2018 9:15 AM
हाजीपुर : प्रशासनिक उदासीनता के कारण शहर का एक बौद्धकालीन सरोवर अपनी पहचान खोता जा रहा है. प्रभाकर पुष्करिणी के नाम से प्रसिद्ध यह ऐतिहासिक सरोवर विलुप्त होने के कगार पर है. समाहरणालय के निकट व्यावहार न्यायालय परिसर में स्थित यह सरोवर दशकों से प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है और अपने जीर्णोद्धार की राह देख रहा है.
सदियों पुराने इस सुंदर सरोवर की न तो जिला प्रशासन ने कोई सुधि ली और न ही नगर पर्षद ने कोई ध्यान दिया.नतीजतन जंगल-झाड़ से भर चुकी प्रभाकर पुष्करिणी कूड़ा-कचरा डंप करने की जगह बनकर रह गयी है. प्रशासन की अनदेखी से लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है. ऐतिहासिक स्थलों पर सरकार का विशेष ध्यान केंद्रित करने की उठ रही है मांग.
तत्कालीन डीएम ने कराया था सौंदर्यीकरण
वर्तमान में सिविल कोर्ट का कारगिल परिसर, जो लगभग ढ़ाई दशक पूर्व तक मंडल कारा का परिसर हुआ करता था. इसी परिसर के निकट लगभग 50 डिसमिल भूखंड में स्थित बौद्धकालीन सरोवर का जीर्णोद्धार 1970 के दशक में तत्कालीन जिलाधिकारी प्रभाकर झा ने कराया था. तत्कालीन डीएम की पहल और प्रयास से जब सरोवर का सौंदर्यीकरण हुआ, तो जिला मुख्यालय को एक रमणिक स्थल नसीब हुआ. उचित रखरखाव और देखभाल के अभव में आज यह सरोवर गंदगी और पर्यावरण प्रदूषण का जरिया बन गया है.
सरोवर के संरक्षण की अब हाइकोर्ट से ही उम्मीद
प्रभाकर पुष्करिणी के संरक्षण और संवर्धन के लिए नगरवासियों को अब हाई कोर्ट से ही उम्मीद है.पुष्करिणी की दुर्दशा को लेकर व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता मुकेश रंजन ने पटना हाई कोर्ट में लोकहित याचिक दायर कर रखी है. सरोवर के जीर्णोद्वार के लिए पिछले कई वर्षों से नगर और जिला प्रशासन से फरियाद करने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.
जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता ने बताया कि वर्ष 2015 में नगर कार्यपालक पदाधिकारी, 2016 में अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी और 2017 में जिला लोक शिकायत पदाधिकारी के समक्ष द्वितीय अपील दायर करने के बावजूद सरोवर का जीर्णोद्धार नहीं हुआ. बाध्य होकर हाइकोर्ट की शरण ली. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन के अलावा नगर पर्षद से भी जवाब मांगा है.

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