बजट 2023: आधारभूत व्यवस्था और कृषि पर फोकस हो तो बदलेगी बिहार की सूरत, पर्यटन क्षेत्र में विकास जरूरी

भौगोलिक व धार्मिक दृष्टि से बिहार में कृषि व पर्यटन क्षेत्र में भरपूर संभावनाएं हैं. इन पर ध्यान दिये बगैर बिहार का विकास मुमकिन नहीं है. अगर सिर्फ बिहार की दो बड़ी सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो जायें, तो नॉर्थ बिहार के करीब तीन लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा मिल जायेगी.

By Prabhat Khabar Print Desk | February 1, 2023 10:12 AM

वीएस दूबे, रिटायर्ड आइएएस अधिकारी

भौगोलिक व धार्मिक दृष्टि से बिहार में कृषि व पर्यटन क्षेत्र में भरपूर संभावनाएं हैं. इन पर ध्यान दिये बगैर बिहार का विकास मुमकिन नहीं है. अगर सिर्फ बिहार की दो बड़ी सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो जायें, तो नॉर्थ बिहार के करीब तीन लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा मिल जायेगी. पहली पश्चिमी कोशी कैनाल प्रोजेक्ट करीब 50 साल से लंबित है. राज्य सरकार के पास इसे पूरा करने का न संसाधन है, न इच्छाशक्ति. इसलिए भारत सरकार को इसे नेशनल प्रोजेक्ट घोषित कर इसका विकास अपने हाथ में ले लेना चाहिए. इसके पूरा होने पर बिहार के दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर और वैशाली जिले के करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा मिल जायेगी. साथ ही नेपाल को भी फायदा होगा.

पूर्वी गंडक सिंचाई परियोजना को पूरा करने का हो प्रबंध

दूसरी पूर्वी गंडक सिंचाई परियोजना पूरी होने पर वाल्मिकीनगर बराज से वैशाली के बीच चंपारण, सीवान और छपरा जिलों में सवा लाख हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा मिल जायेगी. केंद्र सरकार को प्राथमिकता के आधार पर चार से पांच साल में इसको पूरा करने का प्रबंध करना चाहिए. इससे संबंधित क्षेत्र के किसान साल में डेढ़ फसल की जगह तीन फसल तक पैदा कर सकेंगे. कैनाल से सिंचाई सबसे सस्ता साधन होता है. इसके साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की किसानों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा किया जाना चाहिए.

सड़कें बनेंगी, तो पर्यटन बढ़ेगा

बिहार में पर्यटन की संभावनाओं के बीच आधारभूत विकास के मामले में भी हम काफी पीछे हैं. उदाहरण के लिए पटना-गया डोभी और आरा-मोहनिया फोरलेन लंबे समय से लंबित पड़ा है. इसके पूरा होने पर गया-बोधगया का टूरिज्म और बढ़ेगा. अगर तय समय के भीतर पटना-दानापुर-बिहटा-कोइलवर एलिविटेड रोड तैयार हो जाये, तो यूपी और दिल्ली के लिए बड़ा रास्ता खुल जायेगा. लोगों को छह से आठ घंटे और 250-300 किमी की दूरी की बचत होगी. बक्सर-चौसा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की 25-30 किमी लंबी सड़क को भी बनाने की जरूरत है.

अयोध्या की तर्ज पर हो चंपारण, सीतामढी, मधुबनी और दरभंगा का विकास

अगले 10 वर्षों में अयोध्या उत्तरी भारत का सबसे बड़ा टूरिस्ट स्पॉट होने जा रहा है. इसका सभी राज्यों को फायदा लेना चाहिए. केंद्र सरकार ने अयोध्या से जनकपुर तक रामजानकी पथ बनाने की घोषणा की थी. इसे समयबद्ध तरीके से पूरा कराया जाये. जनकपुर से अयोध्या तक सड़क बनने पर बिहार में चंपारण, सीतामढी, मधुबनी, दरभंगा, जनकपुर एरिया बड़ा टूरिस्ट स्पॉट साबित हो सकता है. इसके साथ ही भारत सरकार को अयोध्या से निकल सरयू-घाघरा नदी पर बड़हलगंज, छपरा (मांझी) एनएच किनारे एक नयी रेल लाइन बनानी चाहिए. इससे पटना और अयोध्या के बीच सीधी रेल लाइन मिलेगी और दूरी 50 से 60 किमी तक घट जायेगी. पटना-वाराणसी के बीच वंदे भारत जैसी एसी चेयरकार सुबह में चलाने की जरूरत है, ताकि दोनों शहरों का पर्यटन बढ़े. बनारस की तरह पटना में रिंग रोड के लिए भारत सरकार बजट का प्रबंध करे.

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