गोताखोरों की सूची तैयार

कोसी नदी के पूर्वी एवं पश्चिमी तटबंधों की सुरक्षा के लिये कई जगहों पर गृह रक्षकों को कनीय व सहायक अभियंताओं के साथ प्रतिनियुक्त किया गया है. साथ ही बाढ़ राहत एवं बचाव कार्य के लिये सरकारी नावों के साथ ही निजी नाव तथा मोटर वोटों की उपलब्धता बाढ़ प्रवण अंचलों में पंचायतवार सुनिश्चित किया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 21, 2017 12:52 PM
कोसी नदी के पूर्वी एवं पश्चिमी तटबंधों की सुरक्षा के लिये कई जगहों पर गृह रक्षकों को कनीय व सहायक अभियंताओं के साथ प्रतिनियुक्त किया गया है. साथ ही बाढ़ राहत एवं बचाव कार्य के लिये सरकारी नावों के साथ ही निजी नाव तथा मोटर वोटों की उपलब्धता बाढ़ प्रवण अंचलों में पंचायतवार सुनिश्चित किया गया है.
प्रवीण गोविंद
सुपौल : बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन काफी गंभीर है. कोसी नदी के पूर्वी एवं पश्चिमी तटबंधों की सुरक्षा के लिये कई जगहों पर गृह रक्षकों को कनीय व सहायक अभियंताओं के साथ प्रतिनियुक्त किया गया है. ताकि किसी असामाजिक तत्व द्वारा तटबंधों को क्षति नहीं पहुंचाया जा सके. बाढ़ राहत एवं बचाव कार्य के लिये सरकारी नावों के साथ ही निजी नाव तथा मोटर वोटों की उपलब्धता बाढ़ प्रवण अंचलों में पंचायतवार सुनिश्चित किया गया है. उक्त बातें गुरूवार को प्रभात खबर से विशेष बातचीत में जिला पदाधिकारी बैद्यनाथ यादव ने कही.
उन्होंने कहा कि संचार योजना, गोताखोरों की सूची, हेलीपैड के लिये उंचे स्थल की सूची, चिकित्सक व पारा मेडिकल कर्मी की प्रतिनियुक्ति सहित मानव चिकित्सालयों की सूची, पशु चिकित्सकों की अंचलवार शिविर प्रतिनियुक्ति सूची तथा राज्य खाद्य निगम के गोदामों एवं अन्य चिह्नित गोदामों की क्षमता, खाद्यान्न की उपलब्धता आदि को अद्यतन कर लिया गया है. जिला में उपलब्ध संसाधनों को और समृद्ध एवं अद्यतन किया गया है तथा 27 पंचायतों में मानव आश्रय स्थल सह सामुदायिक भवन सह पशु शरण स्थल का निर्माण कराया गया है. डीएम श्री यादव ने बताया कि जिले में कुल 11 अंचल है, जिसमें सुपौल, किसनपुर, सरायगढ़-भपटियाही, निर्मली तथा मरौना के अधिकांश भाग कोसी तटबंध के बीच रहने के कारण प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित होते हैं.
इसके अतिरिक्त बसंतपुर प्रखंड का जो भाग तटबंध के भीतर पड़ता है और बाढ़ से प्रभावित होता, कभी-कभी सुरसर नदी में बाढ़ व अत्यधिक वर्षापात के कारण छातापुर, त्रिवेणीगंज तथा बसंतपुर अंचल का कुछ भाग बाढ़ से प्रभावित होता है. बाढ़ से प्रभावित होने वाले अंचलवार ग्रामों की सूची तैयार की गयी है. जिसके अनुसार लगभग 36 पंचायतों के कुल 130 गांव प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित होते हैं.
बताया कि बाढ़ से संबंधित तैयारियों के अंतर्गत सभी प्रखंडों में वर्षा मापक यंत्र कार्यरत है व वर्षापात के दैनिक प्रतिवेदन प्रेषण की व्यवस्था की गयी है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में जनसंख्या निष्क्रमण हेतु पंचायतवार उंचे स्थल/शरणस्थली का चयन कर पर्यवेक्षक व अन्य कर्मियों की प्रतिनियुक्ति सूची तैयार की गयी है. डीएम ने बताया कि संध्या 05 बजे के बाद नाव परिचालन पूर्णत: निषेध रहेगी. बाढ़ प्रभावित होने वाले संभावित क्षेत्रों एवं संकटग्रस्त व्यक्ति समूह की अद्यतन पहचान कर सूची तैयार करने हेतु निर्देश दिये गये हैं. विशेष कर धातृ महिलाओं, वृद्ध एवं विकंलाग लोगों की सूची तैयार करने तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर नि:शुल्क अलग से कमरे की व्यवस्था करने को कहा गया है.
डीएम ने बताया कि इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा बिहार आपदा जोखिम-न्यूनीकरण रोडमैप 2015-30 को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गयी है. जिसके अंतर्गत वर्ष 2030 तक प्राकृतिक आपदाओं से मुसलाधार आंकड़ों की तुलना में मानव क्षति को 75 प्रतिशत, आपदा से प्रभावित होने वाले व्यक्तियों की संख्या 50 प्रतिशत, अन्य क्षति को 50 प्रतिशत तथा परिवहन संबंधी आपदाओं में पर्याप्त कमी करने का लक्ष्य रखा गया है.
रोडमैप के अनुसार अल्पकालीन, मध्यकालीन व दीर्घकालीन क्रियाकलापों के जरिये सुरक्षित ग्राम-शहर, आजीविका/बुनियादी सेवाएं व अत्यावश्यक आधारभूत संरचनाएं बना कर वर्ष 2030 तक उक्त लक्ष्यों की प्राप्ति करनी है. इस कार्य योजना में आपदा राहत कार्य में जनसहभागिता के लिये स्थानीय जानकारी व उपलब्ध संसाधनों के आधार पर समुदाय का क्षमता निर्माण आपदा प्रबंधन में पंचायतराज प्रतिनिधियों की भूमिका का सुनिश्चितिकरण तथा स्वयंसेवी संस्थाओं व नगर समाज के लोगों का आपदा में सहभागिता सुनिश्चित की गयी है.
उन्होंने आगे बताया कि इस जिला में एनडीआरएफ के एक कंपनी को स्थायी रूप से रखने हेतु तत्काल मानव आश्रय स्थल-सह-सामुदायिक भवन, गणपतगंज (राघोपुर अंचल) में व्यवस्था की गयी है तथा उनके स्थायी आवासन के लिये पिपरा अंचल के थुमहा मौजा में 2.59 एकड़ भूमि में 30 वर्ष के लीज पर हस्तानांतरण की कार्रवाई की गयी है.

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