महाराजगंज : जातीय समीकरण राष्ट्रवाद व ‘न्याय’ का त्रिकोणीय मुकाबला, 1991 से पांच बार भाजपा इस सीट पर जीती है

महाराजगंज : नेपाल की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के बेहद पिछड़े जिले महाराजगंज में लोकसभा चुनाव के मुद्दे भी देश के दूसरे इलाकों से अलग नहीं हैं. यहां भी राष्ट्रवाद और जातीय समीकरणों की खूब चर्चा है, हालांकि पूर्व पत्रकार सुप्रिया श्रीनते कांग्रेस की ‘न्यूनतम आय योजना’ (न्याय) का जमकर प्रचार-प्रसार करते हुए मुकाबले […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 5, 2019 7:05 AM
महाराजगंज : नेपाल की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के बेहद पिछड़े जिले महाराजगंज में लोकसभा चुनाव के मुद्दे भी देश के दूसरे इलाकों से अलग नहीं हैं. यहां भी राष्ट्रवाद और जातीय समीकरणों की खूब चर्चा है, हालांकि पूर्व पत्रकार सुप्रिया श्रीनते कांग्रेस की ‘न्यूनतम आय योजना’ (न्याय) का जमकर प्रचार-प्रसार करते हुए मुकाबले को त्रिकोणीय बनाती दिख रही हैं.
गोरखपुर के पड़ोस की इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार और वर्तमान सांसद पंकज चौधरी राष्ट्रवाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता के सहारे एक बार फिर से जनता के बीच हैं, तो सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी कुंवर अखिलेश सिंह जातीय समीकरण की बुनियाद पर जीत का दमभर रहे हैं. सुप्रिया महाराजगंज के पूर्व सांसद हर्षवर्धन की पुत्री और टीवी पत्रकारिता का नामी चेहरा रह चुकीं हैं.
स्थानीय पत्रकार एमके सिंह का कहना है कि इस सीट पर भाजपा को राष्ट्रवाद और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का सहारा है, तो गठबंधन जातीय समीकरण साधने में लगा है. कांग्रेस की उम्मीदवार के पुरजोर प्रचार अभियान से मुकाबला अब त्रिकोणीय बनता दिख रहा है. पेशे से वकील प्रवीण कुमार त्रिपाठी का मानना है यहां भी मोदी एक बड़ा फैक्टर हैं.

Next Article

Exit mobile version