चार दिनों तक चूड़ा के सहारे काटी जिंदगी

परेशानी : खुले आसमान के नीचे सोने को लाचार पीड़ित, धीरे-धीरे लौट रहे गांव ऊंचे स्थान पर नरकटिया गांव को पुनर्वासित करने की कर रहे हैं मांग शिवहर : बाढ़ की चपेट में आए गांवों बेलवा नरकटिया व दोस्तियां दक्षिणी समेत अन्य प्रभावित लोगों की फटेहाल जिंदगी उनकी कहानी बयां कर जा रही है. दोस्तियां […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 18, 2019 4:47 AM

परेशानी : खुले आसमान के नीचे सोने को लाचार पीड़ित, धीरे-धीरे लौट रहे गांव

ऊंचे स्थान पर नरकटिया गांव को पुनर्वासित करने की कर रहे हैं मांग
शिवहर : बाढ़ की चपेट में आए गांवों बेलवा नरकटिया व दोस्तियां दक्षिणी समेत अन्य प्रभावित लोगों की फटेहाल जिंदगी उनकी कहानी बयां कर जा रही है. दोस्तियां दक्षिणी में बाढ़ पीड़ित ने बांध पर तंबू गाड़कर अपना आशियाना बना लिया है.
जहां चूड़ा चीनी खाकर जैसे तैसे जिंदगी गुजार रहे हैं. रात होने के बाद परिवार के सदस्य व बच्चे खुले आसमान के नीचे सोने को लाचार है. दिन में भी बच्चे खुले आसमान के नीचे दोस्तियां बांध पर सोते नजर आ रहे हैं. बाढ़ में सारा समान दह गया है. इसके दर्द से कराह रहे बाढ़ पीड़ित आगे घर कैसे बनायेंगे. इसकी चिंता में डूबे जैसे तैसे जिंदगी काट रहे हैं.
हालांकि बाढ़ के बाद बांध पर जीवन बसर कर रहे बाढ़ पीड़ित अपने गांव में धीरे धीरे लौटने लगे हैं. किंतु लौट रहे लोग गांव में ध्वस्त अपने आवास को देखकर माथे पर हाथ रखकर ललाट की पसीना पोछते नजर आ रहे हैं. बाढ़ के कारण नरकटिया गांव की झोपड़ियां ध्वस्त हो चुकी है. चूल्हा चौका जलाने के लिए पैसे का अभाव है.
ऐसे में चूड़ा चीनी या गुड़ जिंदगी बचाने का सहारा बना हुआ है. नरकटिया निवासी शीला देवी,पार्वती देवी, सोना देवी, राजकुमारी देवी ने कहा कि उनकी सुधि लेने अभी तक कोई सरकारी मुलाजिम नहीं आया है. कहा कि उनको सरकार जमीन देकर ऊंचे स्थान पर कही दूसरे जगह पुर्नवासित करें. वर्षों से बाढ़ का दंश झेल रहे हैं.
1994 के करीब आयी बाढ़ में बागमती नदी के पूर्वी छोर में बसे नरकटिया गांव बागमती में स्वाहा हो गया. उसके बाद कई वर्षों तक विस्थापित जिंदगी बसर करते रहें. उसके बाद बागमती के पश्चिम में बसे हैं. किंतु यहां भी करीब प्रत्येक वर्ष की बाढ़ ने जिंदगी को खानाबदोश की जिंदगी से भी बदतर बना दिया है. इधर प्रशासन के सहयोग से नरकटिया में राहत कैंप लगाकर सामुदायिक किचेन संचालित किया गया है.इस गांव में बिजली आपूर्ति बाढ़ के बाद बाधित है.

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