Saran News : चरित्र निर्माण है मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि : आनंद स्वरूप
चरित्र निर्माण मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है. चारित्रिक उत्थान की बदौलत मनुष्य सफल एवम सुखद जीवन को प्राप्त करता है तथा मरणोपरांत निर्वाण को प्राप्त करता है.
मांझी. चरित्र निर्माण मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है. चारित्रिक उत्थान की बदौलत मनुष्य सफल एवम सुखद जीवन को प्राप्त करता है तथा मरणोपरांत निर्वाण को प्राप्त करता है. यह बातें मांझी के गुर्दाहां कला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के तीसरे दिन की कथा में पूर्णिया से पधारे संत आनंद स्वरूप जी महाराज ने कही. उन्होंने कहा कि सदगुरू का सानिध्य पाकर ही ब्यक्ति अपने चरित्र का निर्माण करता है तथा अपने चरित्र की आभा से अपनी संतान को भी चरित्रवान बनने की प्रेरणा देकर ब्यक्ति अपना लोक व परलोक दोनों सुधार लेता है. उन्होंने कहा कि शुद्ध अंतःकरण से पूरे मनोयोग के साथ सिर्फ सात दिन श्रीमद्भागवत में वर्णित महामंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जप करके मानव मोक्ष प्राप्त कर सकता है. कथा मंच पर मांझी विधानसभा के पूर्व प्रत्यासी राणा प्रताप सिंह ने कथावाचक को अंगवस्त्र से सम्मानित किया. गुरुवार की कथा में प्रसिद्ध प्रवाचक सर्वानन्द शर्मा, आचार्य नागेन्द्र शुक्ल, गुरुचरण शर्मा, मदन यादव, विक्रमा शर्मा,प्रेम पुजारी तथा संत गोपालदास समेत सैकड़ों महिला व पुरुष श्रोता मौजूद थे.
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