इलाज के बजाय मरीज किये जाते हैं रेफर

दरियापुर : एक पखवाड़ा पूर्व पीएचसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शिफ्ट हो गया. सिर्फ नाम का परिवर्तन हुआ है. पीएचसी में जो सुविधा होनी चाहिए, वह भी यहां उपलब्ध नहीं है. लेकिन, 22 पंचायतों के लाखों लोगों के स्वास्थ्य का देखभाल करने वाला यह सरकारी अस्पताल खुद सुविधा विहीन है. इसकी हर व्यवस्था पैरालाइज होकर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 28, 2017 8:12 AM
दरियापुर : एक पखवाड़ा पूर्व पीएचसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शिफ्ट हो गया. सिर्फ नाम का परिवर्तन हुआ है. पीएचसी में जो सुविधा होनी चाहिए, वह भी यहां उपलब्ध नहीं है. लेकिन, 22 पंचायतों के लाखों लोगों के स्वास्थ्य का देखभाल करने वाला यह सरकारी अस्पताल खुद सुविधा विहीन है.
इसकी हर व्यवस्था पैरालाइज होकर मरणासन्न स्थिति से गुजर रही है. फिर भी गरीबी व लाचारी की वजह से एक रुपये का पुरजा लेकर मरीज डॉक्टर से परामर्श लेने पहुंचते हैं. यहां डॉक्टर तो पदस्थापित हैं, लेकिन शिशु रोग विशेषज्ञ सदर अस्पताल में डिप्टेशन पर हैं.
यहां महिला डॉक्टर दिन में ही दिखती हैं. सिर्फ चिकित्सा पदाधिकारी ही 24 घंटे ड्यूटी पर लगे रहते हैं. ड्रेसर का पद रिक्त है, महिला संगणक पदस्थापित है, किंतु वह आती नहीं है. चतुर्थवर्गीय कर्मी की कमी की वजह से साफ-सफाई उचित ढंग से नहीं हो पाता. रेफर करने से पहले मरीज के परिजनों को एंबुलेंस की व्यवस्था करने का मशविरा भी डॉक्टर देते हैं. चूंकि एंबुलेंस काफी दिनों से खराब पड़ा है. निःशुल्क मिलने वाली दवा इस प्रकार है, पैरासिटामोल, सेटरिजिन, मेट्रोंन, बीसी, कप सीरप, गैस की दवा, आयरन की गोली, कैल्शियम की गोली तथा एंटीबायोटिक की दवा.
वहीं, गंभीर तथा मारपीट या सड़क दुर्घटना में घायल मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है, चाहे उन्हें मामूली चोट ही क्यों न हो. गर्भवती महिलाओं के लिए दिन में आना तो शुभ है, क्योंकि दिन में महिला चिकित्सक से मुलाकात हो जाती है, लेकिन रात में एएनएम के अलावा कोई देखने वाला नहीं है. अगर क्रिटिकल प्रसव पीड़िता आती हैं, तो रेफर कर देना ही एकमात्र उपाय है.

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